हजारों लोगों को खाना खिलाने वाले इस शख्स की बातें सुनकर भर आएंगी आंखे, सुनाई चार दिन की भयावह दास्तां
हजारों लोगों को खाना खिलाने वाले इस शख्स की बातें सुनकर भर आएंगी आंखे, सुनाई चार दिन की भयावह दास्तां
रोजाना सैकड़ों यात्रियों के खाने की व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाले ट्रेन के पैंट्रीकार मैनेजर आदर्श श्रीवास्तव ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें भी चार दिन भूखे गुजारने पड़ेंगे। आदर्श कहते हैं कि 22 मार्च से लेकर 27 मार्च तक की सुबह का एक-एक लम्हा वह जिंदगी भर कभी नहीं भूल पाएंगे। मुसीबत का एक चेहरा ऐसा भी होता है, उन्हें इसका कभी इल्म तक न था।
शहर के रामजानकरी नगर मोहल्ले के रहने वाले आदर्श श्रीवास्तव कुशीनगर में पैंट्रीकार मैनेजर है। बकौल आदर्श 22 मार्च को वह कुशीनगर एक्सप्रेस के साथ मुंबई पहुंचे। रास्ते में पता चला कि 22 को जनता कर्फ्यू है। जब स्टेशन पहुंचे तो पूरा सन्नाटा था। दिन भर खाने के लिए कुछ नहीं मिला। शाम को पता चला कि 25 तक ट्रेन कैंसिल है।
अगले दिन सुबह कुर्ला से ही पैदल थावे के लिए निकल लिए। रास्ते भर न कोई साधन मिला न खाने के लिए ही कुछ। देर शाम थावे में उनका एक मित्र पहुंचा जो उन्हें कल्याण ले गया। दो दिन वहां रहे। फिर पता चला कि आईआरसीटीसी अपने लोगों के लिए बुधवार को पुष्पक और दुरंतो चलाएगी। फिर किसी तरह बुधवार की सुबह कुर्ला पहुंचे तो शाम चार बजे तक कोई गाड़ी ही नहीं मिली।
कंट्रोल रूम में पूछा तो पता चला कि कोई ट्रेन नहीं चलेगी। फिर शाम छह बजे कुर्ला से बिहार जाने वाले जनता एक्सप्रेस पकड़कर सात बजे कल्याण और फिर इटारसी तक आए। वहां से राजधानी पकड़ी और झांसी तक पहुंचे।
वहां एक नंबर प्लेटफार्म पर स्वास्थ्य की जांच हुई। वहां से पुष्पक एक्सप्रेस से कानपुर पहुंचे और फिर दोपहर तीन बजे राप्तीसागर मिली जो शुक्रवार यानी 27 की सुबह गोरखपुर पहुंची।
सफर में कहीं पर भी खाना तो दूर शुद्ध पानी तक नहीं मिला। स्टेशन पहुंचे तो फिर टीम ने जांच की तब जाकर घर पहुंचे। इस पांच दिन के दौरान मेरे घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल रहा।
अगले दिन सुबह कुर्ला से ही पैदल थावे के लिए निकल लिए। रास्ते भर न कोई साधन मिला न खाने के लिए ही कुछ। देर शाम थावे में उनका एक मित्र पहुंचा जो उन्हें कल्याण ले गया। दो दिन वहां रहे। फिर पता चला कि आईआरसीटीसी अपने लोगों के लिए बुधवार को पुष्पक और दुरंतो चलाएगी। फिर किसी तरह बुधवार की सुबह कुर्ला पहुंचे तो शाम चार बजे तक कोई गाड़ी ही नहीं मिली।
कंट्रोल रूम में पूछा तो पता चला कि कोई ट्रेन नहीं चलेगी। फिर शाम छह बजे कुर्ला से बिहार जाने वाले जनता एक्सप्रेस पकड़कर सात बजे कल्याण और फिर इटारसी तक आए। वहां से राजधानी पकड़ी और झांसी तक पहुंचे।
वहां एक नंबर प्लेटफार्म पर स्वास्थ्य की जांच हुई। वहां से पुष्पक एक्सप्रेस से कानपुर पहुंचे और फिर दोपहर तीन बजे राप्तीसागर मिली जो शुक्रवार यानी 27 की सुबह गोरखपुर पहुंची।
सफर में कहीं पर भी खाना तो दूर शुद्ध पानी तक नहीं मिला। स्टेशन पहुंचे तो फिर टीम ने जांच की तब जाकर घर पहुंचे। इस पांच दिन के दौरान मेरे घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल रहा।
Post a Comment