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महामारी की मार: कच्चे तेल का भाव शून्य डॉलर से भी नीचे लुढ़का, पहली बार सबसे बड़ी गिरावट

महामारी की मार: कच्चे तेल का भाव शून्य डॉलर से भी नीचे लुढ़का, पहली बार सबसे बड़ी गिरावट

दुनियाभर में फैली महामारी के चलते वायदा बाजार में सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें इतिहास में पहली बार शून्य से भी नीचे पहुंच गईं। अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) ने अब तक का सबसे बुरा दिन देखा। डब्ल्यूटीआई का वायदा भाव मई डिलीवरी के लिए कीमत शून्य से नीचे -37.63 डॉलर/बैरल पर बंद हुआ।

इससे पहले कारोबार की शुरुआत 18.27 डॉलर बैरल से हुई और घटते-घटते इतना नीचे पहुंच गई। वहीं, जून के लिए दाम 21.69 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। अब मंगलवार को बाजार खुलने पर कारोबारी मुनाफा वसूली कर सकते हैं।

वैश्विक बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमत 6.3 फीसदी की गिरावट के साथ 26.32 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई। यह गिरावट निवेशकों की चिंता बता रही है। अमेरिका और तेल उत्पादक देशों के बीच हुए करार के अनुसार मई से उत्पादन में 9.7 लाख बैरल प्रतिदिन कटौती होगी। अप्रैल में खपत एक तिहाई तक गिरने की आशंका है। 

क्या हैं इसके मायने, तत्काल नहीं गिरेंगे दाम
कच्चे तेल की कीमतें माइनस में जाने का ये मतलब नहीं है कि आज या कल से ही तेल सस्ता हो गया है। दरअसल मई महीने में कच्चे तेल की सप्लाई के लिए जो ठेके दिए जाते हैं वो अब निगेटिव में चला गया है। बता दें कि तेल उत्पादक देश दुनिया के दूसरे देशों से तेल खरीदने को कह रहे हैं, लेकिन वैश्विक लॉकडाउन के कारण कोई भी देश तेल नहीं खरीद रहा, इसलिए कीमत ऐतिहासिक स्तर पर इतनी गिर गई।

पैसे देकर तेल खरीदने को क्यों कह रहे तेल उत्पादक देश
इस गिरावट के मायने यह भी हैं कि तेल उत्पादक देश अब खरीदारों को पैसे देकर तेल खरीदने की गुजारिश कर रहे हैं। वह ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि अगर तेल नहीं बिका तो स्टोरेज की समस्या भी बढ़ेगी।
कॉफी-बोतलबंद पानी से भी सस्ता हुआ 
अमेरिकी ऑयल बाजार में कारोबार की शुरुआत 18.27 डॉलर प्रति बैरल से हुई और घटते-घटते पहले एक डॉलर के निम्नतम स्तर पर पहुंच गई और मार्केट बंद होते-होते यह निगेटिव में पहुंच गई। ध्यान देने योग्य बात ये है कि कच्चे तेल का भाव अमेरिका में एक कप कॉफी-बोतलबंद पानी से भी सस्ता हो गया है। 
क्यों हुआ ऐसा, इन वजहों से गिरी कीमत
कोरोना वायरस महामारी के कारण मांग निचले स्तर पर पहुंचने और इस साल कंपनियों के बदतर नतीजे आने की आशंका से तेल की कीमतों में यह गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, ब्रेंट क्रूड की कीमत 6.3 फीसदी की गिरावट के साथ 26.32 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंंच गई।
कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दुनियाभर में लॉकडाउन और यात्राओं पर पाबंदी चल रही है। इसके कारण क्रूड की मांग में भारी गिरावट आई है। सऊदी अरब और रूस के बीच प्राइस वॉर शुरू होने से भी तेल की कीमत और गिरी है।
हालांकि, इस महीने के शुरू में दोनों देशों और कुछ अन्य देशों ने मिलकर तेल की कीमत बढ़ाने के लिए उत्पादन में करीब 1 करोड़ बैरल रोजाना की कटौती करने का फैसला किया, लेकिन कीमत में गिरावट जारी है।  
स्टोरेज संकट से और बढ़ेंगी मुश्किलें 
इस गिरावट के मायने यह भी हैं कि अब तेल उत्पादक देशों के सामने स्टोरेज की समस्या खड़ी हो जाएगी। इसे देखते हुए कई तेल फर्म टैंकर किराए पर ले रही हैं ताकि बढ़ा हुआ स्टॉक रखा जा सके। यही वजह है कि वह तमाम देशों से पैसे देकर खरीदने की गुजारिश कर रहे हैं। लॉकडाउन के कारण तेल की खपत भी कम हुई है। इसका असर अमेरिका में तेल कीमतों पर हुआ और वो नेगेटिव यानी जीरो से नीचे चली गईं।