बेसिक शिक्षा में एक सत्यापन ऐसा भी:- 25 साल की सेवा, चार बार वेतन रोका, दो मर्तबा सेवा समाप्ति का नोटिस
बेसिक शिक्षा में एक सत्यापन ऐसा भी:- 25 साल की सेवा, चार बार वेतन रोका, दो मर्तबा सेवा समाप्ति का नोटिस
नियुक्ति और उसका सत्यापन। ये दोनों प्रक्रिया हर विभाग में सतत चलती हैं। एक अनामिका शुक्ला हैं, जो रायबरेली सहित कई जिलों में नियुक्ति पा जाती हैं लेकिन, अभिलेखों के सत्यापन की जहमत अफसर नहीं उठाते। दूसरी सुमन शुक्ला हैं, रायबरेली जिले में ही शिक्षिका पद पर 25 साल से सेवारत हैं लेकिन, उनका सत्यापन पूरा होने का नाम नहीं ले रहा। बीएसए ने सुमन का चार बार वेतन रोका और दो बार सेवा समाप्ति की नोटिस थमाया है। चार साल पहले हाईकोर्ट वेतन बहाली का आदेश कर चुका है, लेकिन अफसरों को अब भी सत्यापन सही होने का इत्मीनान नहीं है?
बेसिक शिक्षा के स्कूलों में नियुक्ति पाने और अभिलेखों के सत्यापन के खेल बड़े निराले हैं। शासन व अफसरों की जुगलबंदी शिक्षकों को चकरघिन्नी बनाए है। शिक्षिका सुमन प्रकरण में इसे समझ सकते हैं। हरचंदपुर विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय अजमत उल्लाहगंज में उन्हें 15 मार्च 1995 को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति मिली। 28 जुलाई 2008 को पदोन्नति पाकर वे प्राथमिक विद्यालय चौहनियां में प्रधानाध्यापिका हो गईं। सुमन का पहली बार छह मार्च 2013 को तत्कालीन बीएसए ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह भदौरिया की ओर से तीन माह तक वेतन रोका गया। इसी बीच बीएसए बदल गए। नए बीएसए संदीप चौधरी ने 25 सितंबर 2013 को सुमन का वेतन अंकपत्र मामले में छह माह तक रोके रखा। साल भर बाद एक अप्रैल 2015 को उनका वेतन फिर एक माह के लिए रोका। बीएसए संदीप ने तीसरी बार तीन सितंबर 2015 से 30 मार्च 2016 तक वेतन रोके रखा। अगले बीएसए राम सागर पति त्रिपाठी ने 19 दिसंबर 2015 को उन्हें सेवा समाप्ति का ही नोटिस थमा दिया। कार्रवाई सुमन को नागवार लगी तो हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ पहुंची। हाईकोर्ट ने 28 मार्च 2016 को वेतन जारी करने का आदेश दिया। शिक्षिका सुमन कहतीं हैं कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्होंने सोचा अब नौकरी पर संकट नहीं आएगा लेकिन, मौजूदा बीएसए आनंद प्रकाश शर्मा ने 13 मई 2020 को उन्हें फिर सेवा समाप्ति का नोटिस थमाया है। 19 मई को जवाब दिया, अब वे बहाल होने के लिए दौड़ लगा रही हैं।
ये अंकपत्र का विवाद : सुमन ने इंटरमीडिएट पूरक परीक्षा 1982 में उत्तीर्ण की। उनके प्रमाणपत्र व अनुक्रमांक 164526 को विपक्षी फर्जी बता रहे हैं। यूपी बोर्ड के अपर सचिव ने चार जनवरी 2016 को बीएसए को पत्र भेजकर कहा है कि अंक व प्रमाणपत्र में कोई अनियमितता नहीं है। बेसिक शिक्षा परिषद के उप सचिव अनिल कुमार इसके पहले यूपी बोर्ड में तैनात रहे हैं और वे खुद इस मामले की जांच करने रायबरेली गए। उनकी रिपोर्ट परिषद में उपलब्ध है।
बेसिक शिक्षा के स्कूलों में नियुक्ति पाने और अभिलेखों के सत्यापन के खेल बड़े निराले हैं। शासन व अफसरों की जुगलबंदी शिक्षकों को चकरघिन्नी बनाए है। शिक्षिका सुमन प्रकरण में इसे समझ सकते हैं। हरचंदपुर विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय अजमत उल्लाहगंज में उन्हें 15 मार्च 1995 को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति मिली। 28 जुलाई 2008 को पदोन्नति पाकर वे प्राथमिक विद्यालय चौहनियां में प्रधानाध्यापिका हो गईं। सुमन का पहली बार छह मार्च 2013 को तत्कालीन बीएसए ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह भदौरिया की ओर से तीन माह तक वेतन रोका गया। इसी बीच बीएसए बदल गए। नए बीएसए संदीप चौधरी ने 25 सितंबर 2013 को सुमन का वेतन अंकपत्र मामले में छह माह तक रोके रखा। साल भर बाद एक अप्रैल 2015 को उनका वेतन फिर एक माह के लिए रोका। बीएसए संदीप ने तीसरी बार तीन सितंबर 2015 से 30 मार्च 2016 तक वेतन रोके रखा। अगले बीएसए राम सागर पति त्रिपाठी ने 19 दिसंबर 2015 को उन्हें सेवा समाप्ति का ही नोटिस थमा दिया। कार्रवाई सुमन को नागवार लगी तो हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ पहुंची। हाईकोर्ट ने 28 मार्च 2016 को वेतन जारी करने का आदेश दिया। शिक्षिका सुमन कहतीं हैं कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्होंने सोचा अब नौकरी पर संकट नहीं आएगा लेकिन, मौजूदा बीएसए आनंद प्रकाश शर्मा ने 13 मई 2020 को उन्हें फिर सेवा समाप्ति का नोटिस थमाया है। 19 मई को जवाब दिया, अब वे बहाल होने के लिए दौड़ लगा रही हैं।
ये अंकपत्र का विवाद : सुमन ने इंटरमीडिएट पूरक परीक्षा 1982 में उत्तीर्ण की। उनके प्रमाणपत्र व अनुक्रमांक 164526 को विपक्षी फर्जी बता रहे हैं। यूपी बोर्ड के अपर सचिव ने चार जनवरी 2016 को बीएसए को पत्र भेजकर कहा है कि अंक व प्रमाणपत्र में कोई अनियमितता नहीं है। बेसिक शिक्षा परिषद के उप सचिव अनिल कुमार इसके पहले यूपी बोर्ड में तैनात रहे हैं और वे खुद इस मामले की जांच करने रायबरेली गए। उनकी रिपोर्ट परिषद में उपलब्ध है।
दो थानों में मुकदमा, एक में एफआर : शिक्षिका सुमन पर हरचंदपुर थाने में और गांधी विद्यालय इंटर कॉलेज बछरावां के प्रधानाचार्य केएल शर्मा पर धोखाधड़ी का मुकदमा हुआ। शर्मा सेवानिवृत्त हुए तो उनकी पेंशन व देयक रुक गए। यूपी बोर्ड की रिपोर्ट पर उन्हें राहत मिली।
निलंबन से बड़ा दंड वेतन रोकना : हाईकोर्ट भी कह चुका है कि संदेह के आधार पर वेतन नहीं रोक सकते। याची साक्ष्य देकर कह चुका है कोई गड़बड़ी नहीं है। असल में, निलंबन होने पर कर्मचारी को पोषण भत्ता मिलता है। वेतन रोकने पर परिवार चलाना कठिन होता है।
25 साल की सेवा, चार बार वेतन रोका, दो मर्तबा सेवा समाप्ति का नोटिस
प्रधानाध्यापिका सुमन शुक्ला। साभार सुमन
शासन को मिले शिकायती पत्र पर शिक्षिका को नोटिस दिया। उसका जवाब और शिकायत दोनों को शासन भेजा है, अब वही निर्णय करेगा।
आनंद प्रकाश शर्मा , बीएसए, रायबरेली
Post a Comment