परिषदीय शिक्षकों के अंतर्जनपदीय तबादले की उम्मीद हो रही धूमिल
परिषदीय शिक्षकों के अंतर्जनपदीय तबादले की उम्मीद हो रही धूमिल
कई सालों से अन्तर्जनपदीय तबादले की उम्मीदों को कोरोना लगातार संक्रमित कर रहा है। दिन बीतने के साथ ही आवेदन करने वाले शिक्षकों की आशाएं धूमिल होती जा रही हैं। शासन ने पहले ही कोरोना के कारण तबादला सत्र शून्य करदिया था लेकिन शिक्षकों को उम्मीद थी कि उनकी घर वापसी की राह खुल जाएगी।जुलाई से स्कूल खुलने के साथ ही तबादले की राह को और कठिन माना जा रहा है।
शासन से बेसिक शिक्षकों के अन्तर्जनपदीय बादलों का ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद बेसिक शिक्षा परिषद ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों से उनके जिलों में रिक्त पदों की संख्या तलब कर उसके सापेक्ष शिक्षकों से आवेदन मांगे थे। आप यह खबर प्राइमरी का मास्टर डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। इस बार आकांक्षी जनपदों से भी तबादले करने का निर्णय किया गया था। रिक्त पदों के आधार पर ही शिक्षकों का उनके मनचाहे जिलों में ट्रांसफर होना था।
शासन ने गत वर्ष 2 दिसंबर को शासनादेश जारी कर तबादला प्रक्रिया को स्वीकृति प्रदान की थी। पुरूषों के लिए तीन वर्ष एवं महिला शिक्षकों को एक वर्ष की सेवा के आधार पर आवेदन करने की छूट दी गई थी। दिव्यांग महिला एवं पुरूष शिक्षकों को अनिवार्य सेवावधि से छूट दी गई थी।
किसी भी जनपद में स्वीकृत पदों के सापेक्ष कुल 15 प्रतिशत शिक्षकों का ही तबादला होना था। कोरोना के कारण इस मसले पर अब तक कुछ नहीं हो सका है।
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