मानव भारती विवि ने दस साल में बांटीं छह लाख फर्जी डिग्रियां
मानव भारती विवि ने दस साल में बांटीं छह लाख फर्जी डिग्रियां
मामले में स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच से पता चला है कि दस साल में करीब छह लाख फर्जी डिग्रियां बेची गई हैं। इसमें एक हजार करोड़ का गड़बड़झाला सामने आया है। एक डिग्री डेढ़ से तीन लाख रुपये में बेची गई है।
करोड़ों के लेन- देन के रिकॉर्ड की पड़ताल अभी चल ही रही है। ऐसी डिग्रियां पूरे देश में बेची गई हैं। बड़ी मात्र में विधि स्नातक की डिग्रियां दी गई हैं। इनके आधार पर कई लोग कोर्ट में प्रेक्टिस की जा रही है। किन-कन राज्यों में कितने वकीलों ने इसे हासिल किया है, इसकी जांच की जा रही है।
मुख्य आरोपित राजकुमार राणा जोधपुर में वकील के तौर पर रजिस्टर्ड है। पुलिस इन तथ्य को जांच रही है। एक टीम जांच के लिए जोधपुर भेजी जाएगी। उसके पास पीएचडी की दो उपाधियां हैं। एक डिग्री मेघालय के एक विश्वविद्यालय से ली गई और दूसरी माधव विश्वविद्यालय राजस्थान से।
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