प्राथमिक शिक्षक संघ गोरखपुर ने मानव संपदा पोर्टल पर डाटा फीडिंग की डेट बढ़ाने की उठाई मांग
प्राथमिक शिक्षक संघ गोरखपुर ने मानव संपदा पोर्टल पर डाटा फीडिंग की डेट बढ़ाने की उठाई मांग
उ.प्र.प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष ज्ञानेंद्र ओझा ने शासन से मानव संपदा फीडिंग का डेट बढ़ाने, यन.पी.यस.कटौती में राज्यांश का विगत 11 माह का बकाया बजट शीघ्र भेजने की मांग की है।श्री ओझा ने इस संबंध में आगे बताया कि मानव संपदा एवं ई सर्विस बुक फीडिंग का कार्य सभी बी.आ.सी.पर विगत दो वर्षों से होना था।फीडिंग हेतु शिक्षकों ने अपने बी.आर.सी.पर लगभग 4 से 5 बार अपने सभी प्रमाण पत्रों की
फोटोकापी जमा किया, फिर भी कोई फीडिंग नहीं की गई।अधिकारियों के अकर्मण्यता को छिपाने के उद्देश्य से अब शासन ने शिक्षकों को स्वयं भरने की जिम्मेदारी सौंपी तो कम से कम तीन बार शासन से साइट को अपडेट किये जाने के कारण कम से कम तीन दिन तक मानव संपदा की साइट कार्य नहीं किया, जिससे सभी शिक्षक अपने प्रमाण पत्र अपलोड नहीं कर सके।श्री ओझा ने मानव संपदा के साइट को सबसे खराब स्तर का बताया और आरोप लगाया कि पैन कार्ड एवं मोबाइल नंबर की जानकारी कर कभी भी शिक्षकों के डाटा को हैक कर दुरूपयोग किया जा सकता है।उन्होंने चेतावनी देते हुवे कहा कि ऐसा होने पर संभावित क्षतिपूर्ति शासन को करना को तैयार रहना होगा। शिक्षक नेता श्री ओझा ने कहा कि पुरानी पेंशन नीति को बंद कर नई पेंशन नीति के अंतर्गत शिक्षकों के वेतन से एनपीएस की कटौती 10% किया जा रहा है परंतु उतना ही धन जो राज्यांश से यनपीयस खातों में जमा होना है उसे विगत 11 माह से नहीं जमा किया जा रहा है जिससे शिक्षकों के वेतन की कटौती का भी लाभ शिक्षकों को नहीं मिल पा रहा है।श्री ओझा ने आरोप लगाया कि जानबूझकर सरकार शिक्षक-कर्मचारियों के वेतन से हर प्रकार की कटौती कर केवल उनका नुकसान करने पर उतारू है और इनसे संबधित शासशन के बजट का अन्यत्र दुरुपयोग किया जा रहा है।। प्राथमिक शिक्षक नेता ज्ञानेंद्र ओझा ने आगे बताया कि शासन में बेसिक शिक्षा के अधिकारी अपने अनुभव हीनता का परिचय अनेक जगहों पर दे रहे हैं।इसी प्रकार उन्होंने बच्चों के खाद्यान्न वितरण के प्राधिकार पत्र में भी अनुभव हीनता का परिचय दिया है प्राधिकार पत्र में कोटेदार को दिए जाने वाले पत्र में कहीं भी प्रधानाध्यापक के हस्ताक्षर का कालम नहीं बनाया गया है जहां पर प्रधानाध्यापक को हस्ताक्षर करने का कालम बनाया गया है वह उन्हीं प्रधानाध्यापक के पास ही रह जाना है, इससे कोटेदारों द्वारा भी प्राधिकार पत्रों का दुरुपयोग करने की संभावना है।इस प्रकार प्रदेश स्तर की बेसिक शिक्षा अनुभवहीन वह अपरिपक्व अधिकारियों के हाथों में प्रयोगशाला बन के रह गई है।यदि अति शीघ्र अनुभवी और कार्य कुशल अधिकारियों को महत्व देकर बेसिक शिक्षा में कार्य नहीं किया गया तो बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश में उत्तर प्रदेश सबसे निचले पायदान पर चले जाने की पूरी संभावना है। श्री ओझा ने शासन से शिक्षकों के 11 माह के बकाया एनपीएस बजट को शीघ्र भेजने और मानव संपदा में प्रमाण पत्रों के अपलोड करने की तिथि बढ़ाने की मांग की है।।
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