आनलाइन शिक्षा अबोध बालकों को दिग्भ्रमित कर रही
आनलाइन शिक्षा अबोध बालकों को दिग्भ्रमित कर रही
कानपुर देहात। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और विचारक विद्यासागर त्रिपाठी ने कहा है कि शिक्षण व्यवस्था के विकल्पों पर विचार नहीं किया गया और आनलाइन शिक्षा को सर्वश्रेष्ठ विकल्प मान लिया, लेकिन हालात बताते हैं कि यह सरकार का जल्दी बाजी मे लिया गया निर्ण है और इसमें सुधार की आवश्यकता है।
भारत में एण्ड्रयड फोन के उपयोग में आने के बाद समय समय पर भारतीय वैज्ञानिकों के साथ साथ अंतर्राष्टिय स्तर पर भी अवयष्क बच्चों पर मोबाइल के अधिक प्रयोग से मस्तिष्क एवं आंखों तथा उनके स्वस्थ्य पर पडने वाले काप्रभावों के बरे में चेताया जाता रह्म है, साथ ही गूगल के माध्यम से चलने वाली अनेक अश्लील साइट्सों में सरकार द्वाग प्रतिबंध करने के बावजूद अभी भी तमाम तरह की धोखाधड़ी के माध्यम से अश्लील साहित्य भी अवयष्क बच्चें के मनोमस्तिष्क को दिग्भ्रमित करने वाला है, ऐसी स्थिति में प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में ऑनलाइन शिक्षा का प्रयोग किस हद तक लाभदायक है, यह गम्भीर विचार्णीय बिषय है ! यदि समय रहते इस आंनलाइन शिक्षा प्रणाली के विकल्पों पर बिचार नहीं किया गया तो भविष्य में अवयष्क छात्रों पर इसका कुप्रभाव पडना असंभावी है। निजी शिक्षा केन्धों से प्रारम्भ हुआ आंनलाइन शिक्षा का यह अविष्कार शुरूआती दौर में निजी शिक्षा केद्धों से सोंची समझी रणनीति के तहत फीस वसूली का एक कारगर उपाय दूढंकर किया गया था, तथा कोरोना संकूमण महामारी के सुरूआती समय के दौरान फरवरी मार्च 2020 के शिक्षा सत्र के अन्तिम समय में जब परीक्षाएं अति संत्रिकट थीं य परीक्षाएं चल रही थीं के समय ऑनलाइन शिक्षा का प्रयोग करके अभिवावकों से फीस बसूली का एक अभिनव प्रयोग किया था जो कारगर साबित हुआ, जिसे आज तक चेलेंज नहीं किया जा सका , तथा वर्तमान सरकारें भी अवयष्क बच्चों के स्वास्थ्य की चिंता किये बगैर आंनलाइन शिक्षा की ओर अपने कदम बढाने की ओर बढ रही हैं जो गम्भीर चिंतनीय है ।भारत में एक ओर जहां गरीब मजदूर व कुछ मध्यमवर्ग कडी मेहनत करके अपने बच्चों को सरकारी स्कूल के माध्यम से शिक्षा दिला पा रहा है जिनके पास एण्ड्रायड फेन की व्यवस्था ही नहीं है या मोबाइल होते हुए भी मोबाइल का डाटा खरीदने की क्षमता ही नहीं है ऐसे में उच्चवर्ग के बच्चों को निजी विद्यालयों से आंनलाइन शिक्षा से उच्चवर्ग तथा निम्नवर्ग के मध्य शिक्षा के क्षेत्र में आ रही विषमताएं भी चिंता का विषय है
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