आरटीई से सीटें भर रहे शहर के निजी स्कूल, कोरोना की वजह से इस बार कम हुए दखिले
आरटीई से सीटें भर रहे शहर के निजी स्कूल, कोरोना की वजह से इस बार कम हुए दखिले
शहर के निजी स्कूलों ने दाखिले शुरू के बोर्ड तो स्कूल के बाहर लटका दिए लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते अभिभावक बच्चों का दाखिला कराने नहीं आ रहे। खासकर शहर के बी ग्रेड स्कूलों की हालत बहुत खराब है। ऐसे में स्कूलों ने अब आरटीईके तहत होने वाले दाखिलों में रुचि दिखानी शुरू कर दी है।
पिछले एक सप्ताह में दर्जनों स्कूल आरटीई के दाखिले के लिए बेसिक शिक्षा विभाग पहुंच रहे हैं। स्कूलों का कहना है कि आरटीई की फीस से उनका खर्च तो चलता रहेगा। आरटीई के तहत सरकार की ओर से स्कूलों को प्रति छात्र 450 रूपए प्रतिमाह फीस दी जाती है। आरटीई की लिस्ट में नाम आने के बाद अभी तक अभिभावक दाखिले के लिए स्कूल जाते थे। लेकिन कोरोना ने माहौल में बदलाव कर दिया है। अब अभिभावकों के बजाए स्कूल प्रशासन बच्चों की तलाश में बेसिक शिक्षा विभाग के चक्कर लगा रहा है पिछले एक सप्ताह में तीस से अधिक स्कूल आरटीई के तहत बच्चे एलॉ2 कराने के लिए बीएसए कार्यालय पहुंच चुके हैं। स्कूलों का कहना है कि वह बच्चों के दाखिले कर ऑनलाइन क्लासेज भी शुरू करा देंगे। जिल कोर्डिनेटर एके अवस्थी के मुताबिक पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि स्कूल खुद आ रहे हैं।
पिछले एक सप्ताह में दर्जनों स्कूल आरटीई के दाखिले के लिए बेसिक शिक्षा विभाग पहुंच रहे हैं। स्कूलों का कहना है कि आरटीई की फीस से उनका खर्च तो चलता रहेगा। आरटीई के तहत सरकार की ओर से स्कूलों को प्रति छात्र 450 रूपए प्रतिमाह फीस दी जाती है। आरटीई की लिस्ट में नाम आने के बाद अभी तक अभिभावक दाखिले के लिए स्कूल जाते थे। लेकिन कोरोना ने माहौल में बदलाव कर दिया है। अब अभिभावकों के बजाए स्कूल प्रशासन बच्चों की तलाश में बेसिक शिक्षा विभाग के चक्कर लगा रहा है पिछले एक सप्ताह में तीस से अधिक स्कूल आरटीई के तहत बच्चे एलॉ2 कराने के लिए बीएसए कार्यालय पहुंच चुके हैं। स्कूलों का कहना है कि वह बच्चों के दाखिले कर ऑनलाइन क्लासेज भी शुरू करा देंगे। जिल कोर्डिनेटर एके अवस्थी के मुताबिक पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि स्कूल खुद आ रहे हैं।
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