राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी:- वक्त की मांग भी थी और जरूरत भी
राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी:- वक्त की मांग भी थी और जरूरत भी
यह वक्त की मांग भी थी और जरूरत भी कि केंद्र सरकार की विभिन्न नौकरियों की भर्ती के लिए अलग-अलग परीक्षाओं के सिलसिले को खत्म किया जाए। केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के गठन को मंजूरी देकर केवल करोड़ों छात्रों को बड़ी राहत ही नहीं दी है, बल्कि संसाधनों की बर्बादी को रोकने का भी काम किया है। इसका कोई मतलब नहीं था कि बैंकों, रेलवे और अन्य सरकारी विभागों के लिए छात्र अलग-अलग परीक्षाएं दें, लेकिन ऐसा ही हो रहा था। इस क्रम में करीब 20 भर्ती एजेंसियां अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करती थीं। इसके चलते छात्रों को हर परीक्षा के लिए अलग से तैयारी ही नहीं करनी पड़ती थी, बल्कि उन सबके लिए बार-बार फीस भी भरनी पड़ती थी। यही नहीं उन्हें अलग-अलग परीक्षाओं में शामिल होने के लिए इस या उस शहर की दौड़ भी लगानी पड़ती थी। इसी के साथ उन्हें इसकी भी चिंता करनी पड़ती थी कि कब कौन सी परीक्षा के लिए आवेदन मांगे गए हैं? इस सबसे मुक्ति सरकारी नौकरियों की तलाश करने वाले करोड़ों युवाओं के लिए एक बड़ी राहत है। इस राहत को इससे समझा जा सकता है कि केंद्रीय सेवाओं की केवल तीन भर्ती परीक्षाओं में ही करीब ढाई करोड़ अभ्यर्थी बैठते हैं।
महत्वपूर्ण केवल यह नहीं है कि राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी अलग-अलग नौकरियों के लिए साझा पात्रता परीक्षा आयोजित करेगी, बल्कि यह भी है कि इस परीक्षा की मेरिट लिस्ट तीन साल के लिए मान्य होगी। फिलहाल राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी रेलवे और बैंकों के साथ कर्मचारी चयन आयोग के तहत होने वाली भर्तियों के लिए साझा पात्रता परीक्षा आयोजित करेगी। इसका कारण संभवत: उचित व्यवस्था के निर्माण के साथ हर जिले में एक परीक्षा केंद्र बनाने के लक्ष्य को हासिल किया जाना है। जो भी हो, यह व्यवस्था इस तरह बनाई जानी चाहिए जिससे वह पारदर्शी होने के साथ भरोसेमंद भी बने। राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के जरिये होने वाली साझा पात्रता परीक्षा इस तरह होनी चाहिए जिससे उसकी विश्वसनीयता को लेकर कहीं कोई सवाल न उठने पाएं, क्योंकि हाल के समय में कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगे हैं। राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के जरिये साझा पात्रता परीक्षा की तैयारी के साथ यह भी उचित होगा कि केंद्रीय सेवाओं में रिक्त पड़े पदों को समय रहते भरने में तत्परता का परिचय दिया जाए। जो पद समाप्त किए जाने हैं वे समाप्त किए जाएं, लेकिन शेष रिक्त पदों की भर्ती प्राथमिकता के आधार पर की जानी चाहिए। अच्छा होगा कि राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के गठन के फैसले को राज्य सरकारें अपने लिए अनुकरणीय उदाहरण समङों। कुछ ऐसा ही फैसला उन्हें भी लेना चाहिए।
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