मार्च–अप्रैल में हो सकते हैं पंचायत चुनाव, इसबार चुनाव में जनसंख्या नीति व शिक्षा की अनिवार्यता को लागू कर सकती है प्रदेश सरकार
मार्च–अप्रैल में हो सकते हैं पंचायत चुनाव, इसबार चुनाव में जनसंख्या नीति व शिक्षा की अनिवार्यता को लागू कर सकती है प्रदेश सरकार
यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अब मार्च व अप्रैल में होने की संभावना है। कोरोना के चलते पंचायत चुनाव अपने निर्धारित समय पर नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाया जाना लगभग तय है। इस बार होने वाले पंचायत चुनाव में प्रदेश सरकार कई तरह के बदलाव भी कर सकती है। इनमें जनसंख्या नीति के साथ ही शिक्षा की अनिवार्यता को भी लागू किया जा सकता है। ॥ त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधानों व ग्राम
पंचायत सदस्यों का कार्यकाल २५ दिसम्बर को पूरा हो रहा है। ऐसे में पहले पंचायत चुनाव अक्टूबर व नवम्बर माह में कराने की तैयारी राज्य निर्वाचन आयोग व पंचायतीराज विभाग ने शुरू कर दी थी। हालांकि कोरोना महामारी के चलते यह तैयारियां शुरू ही नहीं हो पायी और अब स्थिति यह बन गयी है कि इतने कम समय में पंचायत चुनाव करा पाना संभव ही नहीं दिख रहा है। लिहाजा प्रदेश सरकार को पंचायतों का कार्यकाल बढ़øाना पड़े़गा। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का भी कहना है कि यदि सरकार पंचायतों का कार्यकाल छह माह के लिये बढ़øा देगी तो उसके पास २५ जून तक का समय हो जाएगा। सरकार ने भी यही मन बनाकर पंचायत चुनाव मार्च से अप्रैल के बीच में कराने का निर्णय लिया है। उस समय यदि यूपी बोर्ड़ की परीक्षाएं कुछ दखल ड़ालती हैं तो यह चुनाव अप्रैल से मई माह के बीच करा लिये जाएंगे। पंचायत चुनाव से पहले इस बार प्रदेश सरकार कुछ बदलाव भी कर सकती है। इसमें पंचायत के विभिन्न पदों के लिए शिक्षा की अनिवार्यता भी की जा सकती है। इसके तहत ग्राम प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य पद के लिए हाईस्कूल‚ जिला पंचायत सदस्य के लिए इंटरमीडि़यट व ग्राम पंचायत सदस्य के लिए कक्षा आठ पास होना जरूरी रखा जा सकता है। यह भी चर्चा है कि दो से अधिक बच्चे होने पर चुनाव लड़़ने पर रोक भी लगायी जा सकती है। हालांकि इसके लिए प्रदेश सरकार को पंचायतीराज एक्ट में संशोधन करना पड़े़गा। फिर भी इसकी चर्चा शुरू हो गयी है। इसके लिए केन्द्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान सहित अन्य नेता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख चुके हैं।॥ पंचायतीराज मंत्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी भी इसके पक्षधर हैं। यदि पंचायत चुनाव में यह व्यवस्थाएं लागू की जाती है तो चुनाव लड़़ने वाले लाखों लोगों के मंसूबों पर पानी फिर जाएगा क्योंकि पंचायतों की राजनीति में कम पढ़ेø–लिखे लोग भी बढ़–चढ़øकर हिस्सा लेते हैं। फिलहाल शासन का कोई भी अधिकारी इसको लेकर खुलकर नहीं बोल रहा है। शासन के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मुद्दे उठ जरूर रहे हैं लेकिन इनको लेकर अभी कोई कार्रवाई प्रगति पर नहीं है॥। पंचायत चुनाव में जनसंख्या नीति व शिक्षा की अनिवार्यता को लागू कर सकती है प्रदेश सरकार॥ कोरोना के चलते निर्धारित समय पर नहीं हो पा रहे चुनाव.
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