क्लास रुम से महंगी ऑनलाइन पढ़ाई, लैपटॉप और मोबाइल की खरीदी से घरों का बजट बिगड़ने की स्थिति
क्लास रुम से महंगी ऑनलाइन पढ़ाई, लैपटॉप और मोबाइल की खरीदी से घरों का बजट बिगड़ने की स्थिति
आगरा: कोरोना काल में काम-धंधे प्रभावित होने से अभिभावक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और लगातार स्कूलों से फीस माफ कर राहत देने की मांग कर रहे हैं। उनकी यह परेशानी यूं ही नहीं। स्कूल बंद होने से बच्चे घर पर रहकर ऑनलाइन पढ़ जरुर रहे हैं, लेकिन यह पढ़ाई क्लास रूम से भी महंगी पड़ रही है, जिससे अब घरों का बजट बिगड़ने की स्थिति बनने लगी है।
समस्या सबसे ज्यादा उन परिवारों में है, जहां एक से ज्यादा बच्चे हैं, जो अलग कक्षाओं में हैं। लिहाजा ऑनलाइन कक्षाओं का समय एक ही होने से दो स्मार्ट फोन या लैपटॉप परिवार की जरुरत बन गए हैं क्योंकि ऑफिस और बिजनेस की शुरूआत होने से अभिभावक भी अपने कामों में व्यस्त हैं। हालांकि उन घरों में अभी थोड़ी राहत है, जहां मां गृहणी हैं और स्मार्ट फोन भी रखती हैं।
ऐसे बढ़ गया खर्च: कम से कम एक स्मार्ट फोन या लैपटॉप भी लेना पड़े, तो 10 से 30 हजार रुपये का अतिरिक्त करना पड़ रहा है। साथ में इंटरनेट ब्रॉडबैंड डाटा कनेक्शन या पैक लेना भी जरुरी है, जिसकी कीमत 200 से सात सौ रुपये महीना के बीच है। सिर्फ इतना भर होता तो गनीमत थी। स्कूलों फीस और किताबों का खर्च 25 से 40 हजार के बीच चुकाया है या चुकाना बाकि है, लिहाजा 30 से 40 हजार का अतिरिक्त खर्च सिर पर पड़ने से अभिभावक परेशान हैं।
स्कूल नहीं समझ रहे पीड़ा: अभिभावकों का कहना है कि स्कूल खुले थे, तो उन्होंने बच्चों के भविष्य की खातिर मनमानी फीस देने में कभी आनाकानी नहीं की। हर साल ड्रेस, किताबों, बैग आदि का खर्च अलग करते थे। सालभर में 60 से 80 हजार और एक लाख रुपये तक खर्च करते थे, लेकिन अब कोरोना काल में स्कूल बंद होने और आय प्रभावित होने पर स्कूलों को भी हमारी परेशानी समझनी चाहिए।
केस वन
माईथान निवासी मनोज वर्मा के दो बच्चे हैं। बड़ी बेटी 12वीं और बेटा 10वीं है। सिंगल पेरेंट होने के कारण खुद की नौकरी भी देखनी है। स्कूल बंद हुआ, तो ऑनलाइन स्टडी के लिए दोनों बच्चों को लैपटॉप भी दिलाना पड़ा, जिनकी कीमत 60 हजार के करीब थी।
केस टू
दयालबाग निवासी तरुण यादव के दो बेटे हैं, दोनों कॉन्वेंट स्कूल के छात्र हैं, लिहाजा उनकी पढ़ाई के लिए लैपटॉप लेना पड़ा क्योंकि फोन से आंखों पर ज्यादा जोर पड़ता था। साथ ही उन्हें अपने काम पर जाना था। लिहाजा इस तरह 80 हजार खर्चने पड़े, क्योंकि दोनों बेटे की क्लास की टाइमिंग एक ही है।
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