फर्जी शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने से बच रहे अधिकारी, एक अधिकारी दूसरे पर टाल रहे जिम्मेदारी
फर्जी शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने से बच रहे अधिकारी, एक अधिकारी दूसरे पर टाल रहे जिम्मेदारी
लखनऊ । माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी फर्जी शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में खुद को बचा रहे हैं। यही कारण है कि एक अधिकारी दूसरे को और दूसरे अधिकारी तीसरे को एफआईआर कसने का निर्देश दे रहे हैं। यही नहीं, फर्जी शिक्षिका के एक मामले में श्रावस्ती के जिला विद्यालय निरीक्षक चंद्रपाल ने राजकीय उच्च विद्यालय, भचकाही की प्रधानाध्यापिका उषा गुप्ता को ही मुकदमे की चेतावनी दी है। कहा, अगर बह फर्जी शिक्षिका रीता यादव पुत्री हीरा लाल यादव के खिलाफ एफआईआर नहीं कराएंगी तो उनके ही खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया जाएगा। क्योंकि उषा गुप्ता ने एफआईआर कराने से असमर्थता जताई थी.
सेवा नियमावली के तहत एलटी . ग्रेड शिक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा निदेशक या जिला विद्यालय निरीक्षक की है। वहीं, प्रवक्ता के खिलाफ मुकदमा कराने की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा निदेशक की है। जबकि माध्यमिक शिक्षा निदेशक वीके पांडेय ने मंडलीय संयुक्त निदेशकों को एफआईआर दर्ज कराने का फरमान जारी किया ' है। इस पर संयुक्त निदेशकों ने जिला विद्यालय निरीक्षकों को फर्जी शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश जारी कर दिए। अब जिला विद्यालय निरीक्षकों ने भी संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक या प्रधानाचार्य को इसके लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि प्रदेश में बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग में सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है। जैसे-जैसे सत्यापन में फर्जी शिक्षक सामने आ रहे हैं, बैसे ही उन्हें बचाने के प्रयास भी तेज हो गए हैं। वहीं, फर्जी शिक्षकों को सेवा समाप्ति से ज्यादा भय एफआईआर का सता रहा है। इसलिए वे एफआईआर से बचने के लिए हर संभव प्रयास भी कर रहे हैं।
सभी शिक्षकों के दस्तावेज की जांच पारदर्शिता से करा रहे हैं। फर्जी शिक्षक मिलने पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में नियमानुसार कार्यवाही कराएंगे। -डॉ. दिनेश शर्मा, उप मुख्यमंत्री
पहले सत्यापन में डिग्री को बताया फर्जी, दूसरे में कहा-सही
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा ने एलटी ग्रेड शिक्षक तेजबीर सिंह पुत्र बृजलाल सिंह की वर्ष 2009 में बीएड के संबंध में पहली सत्यापन रिपोर्ट में बीएड नहीं करने की पुष्टि की.यानि बीएड की डिग्री फर्जी है। जब विवि को इस बाबत दोबारा पत्र गया तो विवि ने तेजवीर सिंह के वर्ष 2009 में बीएड करने की रिपोर्ट दी। यानी बीएड की डिग्री सही है।
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