खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) परीक्षा स्थगित कराने को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अभ्यर्थी, इलाहाबाद से याचिका हुई ख़ारिज
खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) परीक्षा स्थगित कराने को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अभ्यर्थी, इलाहाबाद से याचिका हुई ख़ारिज
प्रयागराज : उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की खंड शिक्षा अधिकारी-2019 प्रारंभिक परीक्षा स्थगित कराने के लिए अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। वहां शुक्रवार को उक्त मामले में सुनवाई होगी। इसके चलते गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परीक्षा स्थगित करने को लेकर दाखिल जनहित याचिका को खारिज कर दी। कोर्ट ने उक्त मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया।
इसके बाद धर्मेद्र सिंह की तरफ से 16 अगस्त को प्रस्तावित परीक्षा को स्थगित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। जो सिरियल नंबर 20 पर है।
याची ने बताया कि जस्टिस नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस र¨वद्र भट्ट की बेंच उक्त मामले में सुनवाई करेगी। प्रतियोगियों की तरफ से अधिवक्ता कौसर रजा फरीदी कोर्ट में पक्ष रखेंगे। अब हर किसी की नजर कोर्ट के निर्णय पर टिकी है, क्योंकि आयोग परीक्षा की तैयारी पूरी कर चुका है।
बीईओ-2019 प्रारंभिक परीक्षा स्थगित करने की मांग खारिज
विधि संवाददाता, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ)-2019 प्रारंभिक परीक्षा स्थगित कराने की मांग में दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि परीक्षा के खिलाफ किसी प्रतियोगी छात्र को ही कोर्ट आना चाहिए। याची संगठन को जनहित याचिका में परीक्षा आयोजित करने को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने उक्त मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति व अन्य की जनहित याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता व न्यायमूíत वीके बिड़ला की खंडपीठ ने की। याचिका में कोविड-19 के चलते शारीरिक दूरी मानक का पालन न होने पर संक्रमण फैलने की आशंका जताते हुए 16 अगस्त को प्रस्तावित परीक्षा स्थगित करने की मांग की गयी थी। परीक्षा प्रदेश के 18 जिलों में उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की ओर से आयोजित की जा रही है। उक्त प्रारंभिक परीक्षा में पांच लाख से अधिक अभ्यर्थियों के हिस्सा लेने की संभावना है। याचिका में कहा गया कि बड़ी संख्या में केंद्र पर आने वाले प्रतियोगी छात्र-छात्रओं में संक्रमण का खतरा है। कोर्ट ने तकनीकी खामियों के चलते हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया।
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