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उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव छह महीने टलना तय, फैसला जल्द

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव छह महीने टलना तय, फैसला जल्द


कोविद-19 के बढ़ते संक्रमण के कारण यूपी में पंचायत चुनाव छह महीने टलना तय, फैसला जल्द
कोरोना महामारी के चलते प्रदेश में पंचायत चुनाव छह महीने के लिए टलना तय हो गया है। स्थितियां ठीक रहीं तो छह महीने बाद पंचायत चुनाव होंगे। कोरोना महामारी की वजह से तैयारियां नहीं होने पाने के कारण सरकार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव टालने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस पर जल्द ही निर्णय हो सकता है। प्रदेश में पंचायत चुनाव अब 2021 में ही होंगे। शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पंचायत चुनाव टाले जाने की पुष्टि करते हुए बताया कि इस पर गंभीरता से विचार चल रहा है।


गौरतलब है कि अमर उजाला ने 24 जुलाई को ‘यूपी में टलेंगे पंचायत चुनाव, तैनात होंगे प्रशासक’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। चूंकि अभी तैयारियां शुरू ही नहीं हो पाई हैं इसलिए सरकार चुनाव टालने पर विचार कर रही है। प्रदेश में 58758 ग्राम पंचायत, 821 क्षेत्र पंचायत और 75 जिला पंचायत हैं। इनके चुनाव इसी साल के आखिर तक होने थे। चुनाव की तैयारियां में कम से कम 6 महीने लगते हैं।
वर्ष 2015 में पंचायत चुनाव के लिए फरवरी-मार्च से ही तैयारी शुरू हो गई थी। ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के निर्वाचन क्षेत्र (वार्ड) निर्धारण की समय सारिणी 16 मार्च 2015 को जारी कर दी गई थी। इसके लिए डीएम की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। 4 अप्रैल को इसका संशोधित कार्यक्रम जारी हुआ था। राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायतों की वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण 18 मई से प्रारंभ कर दिया था और 11 अगस्त से पंचायती संस्थाओं के आरक्षण की प्रक्र्तिया प्रारंभ हो गई थी।

कोविड-19 के चलते इस बार पंचायत चुनाव की तैयारियां पिछड़ गई हैं। मार्च से चुनाव की तैयारी शुरू नहीं हो पाईं हैं। 25 मार्च से लॉकडाउन के बाद लगभग दो महीने तक प्रदेश में लगभग सभी कामकाज लगभग ठप रहे। इसके बाद से सभी जिले कोरोना संक्र्तमण का प्रसार रोकने में जुटे हैं। इसमें पंचायतीराज विभाग भी शामिल है। लिहाजा, न तो वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण हो पाया है और न ही पंचायतों के परिसीमन की प्रक्र्तिया शुरू हो पाई है। ऐसे में वक्त पर चुनाव हो पाना संभव नहीं है। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि सरकार बहुत जल्द ही औपचारिक रूप से पंचायत चुनाव टालने का एलान कर सकती है।

2015 में 9 अक्तूबर से 9 दिसंबर तक हुए थे चुनाव
2015 में क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत सदस्य के चुनाव 4 चरणों में 9 से 29 अक्तूबर के बीच हुए थे। इसके लिए 21 सितंबर को अधिसूचना जारी की गई थी। ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य के चुनाव भी 4 चरणों में 28 नवंबर से 9 दिसंबर के बीच हुए थे। इसकी अधिसूचना 7 नवंबर को जारी हुई थी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अगर अभी तैयारी शुरू हो जाए तो भी नियत समय में चुनाव प्रक्र्तिया पूरी हो पाना संभव नहीं है।




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लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के मद्देनजर राज्य सरकार फिलहाल पंचायत चुनाव नहीं कराएगी। पंचायत चुनाव को छह माह तक टालने पर योगी सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। इस संबंध में सरकार जल्द ही फैसला कर राज्य निर्वाचन आयोग को अवगत कराएगी।

दरअसल, मौजूदा पंचायतों का पांच वर्ष का कार्यकाल 25 दिसंबर को पूरा हो रहा है। समय से चुनावी प्रक्रिया पूरी करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को सामान्यता छह माह चाहिए होते हैं। विशेष परिस्थितियों में आयोग न्यूनतम चार महीने में भी चुनाव करा सकता है। इस तरह से पंचायतों के समय से गठन के लिए अब तक चुनाव की तैयारियों शुरू हो जानी चाहिए थी लेकिन वैश्विक महामारी कोविड-19 के मद्देनजर सरकार ने अब तक आयोग को चुनाव कराने के संबंध में हरी झंडी नहीं दी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार मृत्युंजय कुमार का कहना है कि मौजूदा परिस्थितयों को देखते हुए सरकार फिलहाल पंचायत चुनाव स्थगित करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस संबंध में जल्द ही उच्च स्तरीय निर्णय ले लिया जाएगा। मृत्युंजय कुमार के मुताबिक परिस्थितियां सामान्य होने की दशा में छह माह बाद पंचायत के चुनाव कराए जाएंगे। ऐसे में अगले वर्ष मई-जून तक पंचायत चुनाव टल सकते हैं।


गौरतलब है कि पंचायत चुनाव के संबंध में राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार पिछले दिनों मुख्यमंत्री से मिले थे। मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद ही आयोग ने जिस तरह से पहली सितंबर से मतदाता सूची के वृहद पुनरीक्षण के जिलाधिकारियों (जिला निर्वाचन अधिकारी) को जारी आदेश को रद कर दिया था, उससे ही यह संकेत मिल गए थे कि पंचायत चुनाव टलना तय है। वैसे 25 दिसंबर से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी करने के लिए आयोग ने पूर्व में सरकार को अपनी ओर से दीपावली के बाद 16 नवंबर से 20 दिसंबर के दरमियान चुनाव प्रस्तावित किया था। उल्लेखनीय है कि क्षेत्र पंचायत का कार्यकाल अगले वर्ष 17 मार्च को और जिला पंचायत का कार्यकाल 13 जनवरी को समाप्त हो रहा है।



कोर्ट में जा सकता है मामला : कोविड-19 के मद्देनजर सरकार भले ही पंचायत चुनाव को टाल रही है लेकिन समय से चुनाव कराने को लेकर मामला कोर्ट में जा सकता है। जानकारों का कहना है कि जब भारत निर्वाचन आयोग, कोविड के बावजूद बिहार विधानसभा के चुनाव कराने जा रहा है तब राज्य निर्वाचन आयोग क्यों नहीं पंचायत चुनाव करा सकता है। विपक्षी दल भी चुनाव टालने को लेकर सरकार को घेर सकती हैं।

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