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नई नौकरी वालों का हर छह माह पर मूल्यांकन, होगी प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा

नई नौकरी वालों का हर छह माह पर मूल्यांकन, होगी प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा

सरकारी नौकरी शुरू करने वाले हर कर्मचारी का प्रत्येक छह माह में मूल्यांकन किया जाएगा। नई नीति के तहत सरकार इसे लागू करने पर विचार कर रही है। इसका फायदा यह होगा कि धांधली कर नौकरी पाने वालों और अयोग्य कर्मचारियों को बाहर किया जा सकेगा। अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक मुकुल सिंहल ने कहा कि इस नियमावली को लागू करने पर विचार किया जा रहा है। 

प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा होगीः 
यूपी में धांधली कर सरकारी नौकरियां पाने का बड़ा खेल है। राज्य सरकार इसीलिए चाहती है कि समूह ख व ग की भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह से बदल दी जाए। इसके लिए समूह ख व ग पदों पर नियुक्ति (संविदा पर ) एवं विनियमितिकरण नियमावली 2020 बना रही है। इन भर्तियों के लिए प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा कराने पर विचार है। प्रारंभिक परीक्षा के लिए केंद्र की तर्ज पर एक अलग एजेंसी भी बनाई जा सकती है। इनमें सर्वाधिक स्कोर करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया जाएगा। मुख्य परीक्षा पास करने वालों को पहले पांच सालों तक संविदा पर नौकरी करनी होगी। इन पांच साल के दौरान कर्मचारी का छमाही मूल्यांकन होगा, जिसमें नई नौकरी पाने वालों को हर बार 60 प्रतिशत अंक लाना जरूरी होगा। सरकार की प्रस्तावित नई व्यवस्था के तहत पांच वर्ष बाद ही नियमित नियुक्ति दी जाएगी। 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले सेवा से बाहर होते रहेंगे। इन पांच सालों में कर्मचारियों को नियमित सेवकों की तरह मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ भी नहीं मिलेंगे।



सरकार फैसले का विरोध होगा 
राज्य सरकार का यह फैसला भले ही अभी ही आ है, लेकिन इसका विरोध जरूर शुरू हो गया है। भारतीय लोकसेवा बीपी मिश्रा कहते हैं कि राज्य सरकार अगर इस तरह का कोई फैसला करती है तो इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा कहते हैं कि राज्य सरकार को ऐसा कोई फैसला नहीं करना चाहिए जिससे युवाओं का नुकसान हो। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष

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