आरक्षण के पेंच में फंसी शिक्षक भर्ती, शासन को पत्र भेजकर मांगे गए दिशा-निर्देश
आरक्षण के पेंच में फंसी शिक्षक भर्ती, शासन को पत्र भेजकर मांगे गए दिशा-निर्देश
आरक्षण के पेंच में फंसी शिक्षक भर्ती, शासन को पत्र भेजकर मांगे गए दिशा-निर्देश
उत्तर प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए नया विज्ञापन जारी होने से पहले ही क्षैतिज आरक्षण के फेर में भर्ती फंस गई है। मंगलवार को उच्च शिक्षा संघर्ष मोर्चा के छात्रों ने उच्च शिक्षा निदेशालय के सामने प्रदर्शन किया।
उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. वंदना शर्मा ने छात्रों को आश्वासन दिया कि उन्होंने क्षैतिज आरक्षण के संबंध में शासन को पत्र भेजकर दिशा-निर्देश मांगे हैं। वहां से हरी झंडी मिलते ही क्षैतिज आरक्षण का निर्धारण करते हुए भर्ती के लिए पदों का अधियाचन उतर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग को दोबारा भेज दिया जाएगा।
प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के तकरीबन 3900 पद रिक्त हैं। कुछ दिनों पहले ही उच्च शिक्षा निदेशालय ने इनमें से 1303 पदों का अधियाचयन आयोग को भेजा था, ताकि आयोग विज्ञापन जारी कर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर सके।
लेकिन, आयोग ने निदेशक को पत्र लिखकर कहा है कि भेजे गए पदों के क्षैतिज आरक्षण का निर्धारण निदेशालय स्वयं करे। आयोग ने अपने स्तर से क्षैतिज आरक्षण के निर्धारण से इनकार कर दिया है। जबकि, पूर्व में आयोग ही क्षैतिज आरक्षण का निर्धारण करता था।
अब निदेशालय ने शासन को पत्र भेजकर इस बारे में दिशा-निर्देश मांगे हैं। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. वंदना शर्मा का कहना है कि निदेशालय अपने स्तर से क्षैतिज आरक्षण का निर्धारण नहीं कर सकता है। शासन से निर्देश मिलते ही यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी और इसके बाद आयोग को 1303 पदों का अधियाचन दोबारा भेज दिया जाएगा।
उधर, निदेशालय में इस मसले पर प्रदर्शन करने पहुंचे उच्च शिक्षा संघर्ष मोर्चा के छात्रों का कहना था कि आयोग एक भर्ती चार साल में पूरी कर पा रहा है। 2016 की विज्ञापन की भर्ती प्रक्रिया अब तक चल रही है। हर साल नेट-जेआरएफ करने वाले छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और पद रिक्त होने के बाद भी भर्तियां नहीं की जा रहीं हैं।
ऐसे में बेरोजगारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मोर्चा के सदस्य डॉ. सौरभ सिंह, मुकेश यादव ने टुकड़ों में अधियाचन भेजने की जगह निदेशालय से एक साथ प्रक्रिया पूरी कराने की मांग की। उनका कहना है कि अगर अलग-अलग अधिचायन जाएगा, तो रिक्त पदों पर भर्ती पूरी होने में 10 साल बीत जाएंगे।
एक साथ अधियाचन भेजे जाने से छात्रों के लिए अवसर बढ़ेंगे। हालांकि छात्रों को इस मुद्दे पर निदेशालय से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। उनसे यही कहा गया कि 1303 पदों पर भर्ती के लिए क्षैतिज आरक्षण के संबंध में शासन से दिशा-निर्देश मिलने का इंतजार है।
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