उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की सुस्त कार्यप्रणाली प्रतियोगियों के भविष्य पर पड़ रही है भारी
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की सुस्त कार्यप्रणाली प्रतियोगियों के भविष्य पर पड़ रही है भारी
प्रयागराज : उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की सुस्त कार्यप्रणाली प्रतियोगियों के भविष्य पर भारी पड़ रही है। असिस्टेंट प्रोफेसर पद की भर्ती का विज्ञापन जारी न होना उसका उदाहरण है। उच्च शिक्षा निदेशालय ने अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कालेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों के खाली पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकालने के लिए आयोग को दो महीने पहले अधियाचन भेजा है। आयोग विज्ञापन नहीं निकाल पाया है।
अधियाचन मिलने के बाद लंबी अवधि तक उसे रोकने से प्रतियोगियों में निराशा व्याप्त है। विज्ञापन जारी कराने को प्रतियोगी आंदोलन छेड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उच्च शिक्षा निदेशालय ने 12 अगस्त को 1303 पदों का अधियाचन उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को भेजा था। लेकिन, क्षैतिज आरक्षण की स्थिति स्पष्ट न होने से भर्ती नहीं निकली। सितंबर के प्रथम सप्ताह में शासन ने आरक्षण की स्थिति स्पष्ट कर दी। इसके बाद निदेशालय ने 44 विषयों में पद की संख्या बढ़ाकर 2016 कर दिया। सारी प्रक्रिया पूरी करके अधियाचन पुन: आयोग को भेज दिया। आयोग विज्ञापन संख्या 50 के तहत भर्ती निकालनी है। इसके तहत प्रदेश के 90 डिग्री कालेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली पदों पर भर्ती होनी है। लेकिन, विज्ञापन जारी नहीं हुआ। आयोग की सचिव डॉ. वंदना त्रिपाठी का कहना है कि निदेशालय से मिले अधियाचन में क्षैतिज आरक्षण लागू नहीं है। महिला कॉलेजों का ब्योरा भी अलग नहीं किया गया था। आयोग को सारी प्रक्रिया पूरी करानी पड़ रही है। उसे पूरा करके विज्ञापन जारी कर दिया जाएगा।
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