बड़ा सवाल? क्या शिक्षकों के हितों की बात कर पाएंगे दलों के शिक्षक एमएलसी? या फिर लटकीं रहेंगी मांगें
बड़ा सवाल? क्या शिक्षकों के हितों की बात कर पाएंगे दलों के शिक्षक एमएलसी? या फिर लटकीं रहेंगी मांगें
शिक्षक एमएलसी के नतीजे आ चुके हैं। 6 में से 4 सीटें भाजपा व सपा के पास हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी हैं कि क्या ये नेता दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर शिक्षक हितों की बात कर पाएंगे? वित्तविहीन महासभा के अध्यक्ष उमेश द्विवेदी इस बार सत्ताधारी दल के टिकट से जीते हैं, ऐसे में वे कैसे सरकार के खिलाफ जाते हुए शिक्षकों की मांगों को सदन में उठाएंगे, इस पर शिक्षकों की नजरें रहेंगी।
एडेड और वित्तविहीन की लड़ाई का फायदा राजनीतिक दलों को पहुंचा है और नतीजे इसकी पुष्टि करते हैं। वित्तविहीन शिक्षक आरोप लगाते रहे हैं कि एडेड स्कूल के शिक्षक संघों ने सदन में सिर्फ अपने फायदे की बात उठाई। यही कारण था कि वित्तविहीन शिक्षकों ने लड़ाई लड़ कर अपने वोट बनवाए और पिछली बार वित्तविहीन महासभा के अध्यक्ष उमेश द्विवेदी सदन भी पहुंचे। प्रदेश में वित्तविहीन शिक्षकों की संख्या 2 लाख से भी ज्यादा है लेकिन इस बार उमेश द्विवेदी भाजपा के टिकट पर जीते हैं। भाजपा के टिकट पर सदन पहुंचे अन्य दो एमएलसी भी खांटी भाजपाई पहले हैं और शिक्षक बाद में। ऐसे में वे किस तरह शिक्षक हितों की बात करेंगे, ये देखने वाली बात होगी। वित्तविहीन शिक्षकों को मानदेय, सेवा नियमावली, प्रबंधन का उत्पीड़न या एडेड स्कूलों में प्रबंधन के खेल आदि से निजात शिक्षकों की पुरानी मांगे हैं।
फैजाबाद-गोरखपुर से जीते शर्मा गुट के ध्रुव कुमार त्रिपाठी वित्तविहीन महासभा के अजय सिंह के साथ कांटे की टक्कर के बाद जीते हैं। अजय सिंह हालांकि भाजपा में शामिल हुए थे लेकिन भाजपा ने उन्हें यहां से टिकट न देते हुए ध्रुव कुमार को ही समर्थन दे दिया था। मौजूदा नतीजे के बाद अब विधान परिषद में शिक्षक एमएलसी की 8 सीटों में तीन भाजपा के पास, दो शर्मा गुट, एक सपा, एक वित्तविहीन और एक चंदेल गुट के पास है यानी अब केवल सशिक्षक दलों के चार नेता सदन में हैं और बाकी के चार दलों के प्रतिनिधि के रूप में रहेंगे।
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