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बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी अभिलेखों से नौकरी हासिल करने वाला शिक्षक बर्खास्त, नाम-पता फर्जी तो कैसे होगी वसूली

 बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी अभिलेखों से नौकरी हासिल करने वाला शिक्षक बर्खास्त, नाम-पता फर्जी तो कैसे होगी वसूली


लखीमपुर खीरी। बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी अभिलेखों से नौकरी हासिल करने का एक और मामला सामने आने पर कार्रवाई करते हुए बीएसए ने फर्जी शिक्षक को बर्खास्त कर दिया है।
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ईसानगर ब्लॉक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय महेवा में 21 दिसंबर 2009 को नियुक्ति पाने के बाद 27 फरवरी 2018 से शिक्षक राजेश कुमार लगातार अनुपस्थित चल रहा था। मामले की जांच-पड़ताल में खुलासा हुआ कि शिक्षक ने जो मूल पता दिया था, वहां पर राजेश कुमार नाम का कोई व्यक्ति रहता ही नहीं है। शिक्षक के पते पर भेजी गई रजिस्टर्ड डाक भी वापस आ गई। मोबाइल नंबर भी दो सालों से बंद है।
विभाग प्रकरण की जांच कर ही रहा था कि उधर फर्जी अभिलेखों से नौकरी हासिल करने के मामले की जांच कर रही एसटीएफ ने सात अक्तूबर 2020 को यदुनंदन यादव को गिरफ्तार किया, जिसकी गाड़ी से बरामद अभिलेखों में 76 शिक्षकों की सूची मिली। इस सूची में क्रमांक 65 पर राजेश कुमार सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय महेवा ईसानगर का नाम अंकित मिला। इसके बाद महानिदेशक स्कूल शिक्षा के आदेश पर बीएसए बुद्ध प्रिय सिंह ने एसटीएफ द्वारा संदिग्ध करार दिए गए शिक्षक राजेश कुमार पुत्र छैलबिहारी निवासी जमीरा जिला संत कबीरनगर के सेवा पंजिका में दर्ज पते पर स्थलीय जांच के लिए खंड शिक्षा अधिकारी ईसानगर को भेजा, जहां पर प्रधान इंद्रावती और ग्राम पंचायत अधिकारी अम्ब्रीश पटेल ने लिखित तौर पर बताया कि गांव जमीरा तहसील घनघटा ब्लॉक नाथनगर जिला संत कबीनगर में राजेश कुमार पुत्र छैलबिहारी नाम का कोई व्यक्ति नहीं हैै। बीएसए ने बताया कि इससे स्पष्ट हो गया कि राजेश कुमार ने शिक्षा विभाग में नियुक्ति प्राप्त करने के लिए फर्जी निवास प्रमाण पत्र और शैक्षिक अभिलेख प्रस्तुत किए थे। इसी कारण संबंधित पते पर डाक प्राप्त नहीं की गई और न ही राजेश कुमार ने सात अप्रैल 2018 को भेजी नोटिस का जवाब दिया। विभाग को गुमराह कर फर्जी/कूूटरचित तरीके से नियुक्ति प्राप्त करने के आरोप में बीएसए ने राजेश कुमार की सहायक अध्यापक पद पर की गई नियुक्ति प्रारंभ से शून्य घोषित करते हुए सेवा समाप्त कर दी है। -
साथी शिक्षक ने दी थी हादसे में अनहोनी की सूचना
प्राथमिक विद्यालय महेवा में तैनात दूसरे शिक्षक अंकित जायसवाल ने सबसे पहले शिक्षक राजेश कुमार के बगैर सूचना के अनुपस्थित रहने की सूचना तीन अप्रैल 2018 को पत्र के माध्यम से बीईओ ईसानगर को दी थी, जिसमें बताया गया कि 26 फरवरी 2018 तक राजेश कुमार उपस्थित रहे, लेकिन 27 फरवरी 2018 से लगातार अनुपस्थित हैं। साथ ही शिक्षक ने यह भी बताया कि छह मार्च 2018 को बच्चों की यूनिफार्म सिलाई करने वाले टेलर ने राजेश के मोबाइल नंबर पर संपर्क किया, तो उधर से बात करने वाले ने बताया कि राजेश कुमार का बहराइच में एक्सीडेंट हो गया है, जिसमें उनके साथ अनहोनी हो गई है। इसके बाद हादसे की जानकारी पाकर कुछ शिक्षक बहराइच गए, लेकिन वहां राजेश कुमार के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। इसके बाद से राजेश का मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ हो गया।
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बीईओ ईसानगर को एफआईआर कराने के निर्देश
बीएसए ने फर्जी शिक्षक राजेश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश बीईओ ईसानगर को दिए हैं। साथ ही विभाग से दिए गए वेतन आदि की रिकवरी करने के लिए वित्त एवं लेखाधिकारी से आगणन उपलब्ध कराने के लिए कहा है।
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नाम-पता फर्जी तो कैसे होगी वसूली
फर्जी शिक्षक राजेश कुमार ने करीब आठ साल तक नौकरी करके शिक्षा विभाग को लाखों का चूना लगाया है। अब वसूली करने के लिए विभाग को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उसका नाम-पता फर्जी पाया गया है। मोबाइल भी बंद है।
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तो पकड़े जाने के डर से पहले हुआ भूमिगत
बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी अभिलेखों से नौकरी हासिल करने के करीब दो दर्जन से अधिक मामले पकड़े जा चुके हैं। 2018 में ही आधा दर्जन शिक्षकों को बर्खास्त किया गया, जिस दौरान राजेश कुमार को भी अपने फंसने का अंदेशा हो गया था। विभागीय सूत्र बताते हैं कि पकड़े जाने के डर से ही राजेश कुमार प्लानिंग के तहत भूमिगत हो गया है। आठ साल तक नौकरी करने के बावजूद उसके बारे में विभाग के पास कोई पुख्ता जानकारी भी नहीं है।

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