बेसिक शिक्षा विभाग में अवकाश के नाम पर देरी और शोषण:- मानव संपदा पोर्टल की समीक्षा में सामने आई मनमानी, महानिदेशक ने पत्र लिख चेताया, शासनादेश का करें पालन
बेसिक शिक्षा विभाग में अवकाश के नाम पर देरी और शोषण:- मानव संपदा पोर्टल की समीक्षा में सामने आई मनमानी, महानिदेशक ने पत्र लिख चेताया, शासनादेश का करें पालन
बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के अवकाश स्वीकृत या अस्वीकृत करने के लिए मानव संपदा पोर्टल बनाया गया है। प्रक्रिया और समय अवधि निर्धारित है कि कितने समय में अवकाश संबंधी आवेदन का निस्तारण होना है, लेकिन अधिकांश जिलों में इसका उल्लंघन हो रहा है। पोर्टल की समीक्षा में यह बात तक सामने आई है कि
अवकाश स्वीकृत करने के नाम पर देरी और शोषण भी हो रहा है।
अवकाश स्वीकृत करने के नाम पर देरी और शोषण भी हो रहा है।
इसे गंभीरता से लेते हुए महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर चेताया है। स्कूल शिक्षा महानिदेशालय ने नवंबर के आकस्मिक अवकाश, चिकित्सा अवकाश और बाल्य देखभाल अवकाश के आवेदनों की समीक्षा की है। इसमें पाया गया है कि प्रतिमाह खंड शिक्षा अधिकारी स्तर पर औसतन 675 आवेदन मिल रहे हैं। चार दिन से कम अवकाश के आवेदन भी खंड शिक्षा अधिकारी को भेजे जा रह हैं, जबकि शासनादेश में चार दिन से कम का अवकाश प्रधानाध्यापक को और उससे अधिक खंड शिक्षा अधिकारी को स्वीकृत करना है। वहाँ, 880 ब्लॉक में से 19 ब्लॉक ऐसे हैं, जिनमें नवंबर में सौ से कम आवेदन आकरिमक अवकाश के आए हैं, जबकि राज्य स्तर पर प्रति माह प्रति ब्लॉक औसत 675 आवेदन का है। माना गया है कि 19 ब्लॉक में मानव संपदा पोर्टल से अवकाश के लिए आवेदन नहीं किया जा रहा है। यहाँ नहीं, एक दिन में आवेदन निस्तारण के आदेश के बावजूद सौ-सौ दिन लगाए जा रहे हैं। इसी तरह चिकित्सा अवकाश के आवेदन खंड शिक्षा अधिकारी और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के स्तर से दो-दो दिन में यानी कुल चार दिन में निस्तारण किए जाने चाहिए। इतनी हीं समयावधि बाल्य देखभाल अवकाश के संबंध में है, जबकि पचास से दो सौ दिन तक आवेदन लंबित पाए गए हैं। महानिदेशक ने अपने पत्र में कहा है कि हाल हां में राज्य के 12,733 शिक्षकों से आइवीआरएस कॉल से मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से अवकाश आवेदन की व्यवस्था और अवकाश स्वीकृति में देरी को लेकर सवाल पूछे गए।
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