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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल की दिशा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक और बड़ा कदम उठाया, 'एबीसी' नाम की एक नई स्कीम होगी शुरू

 नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल की दिशा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक और बड़ा कदम उठाया, 'एबीसी' नाम की एक नई स्कीम होगी शुरू

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल की दिशा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक और बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में अब कामर्शियल बैंकों की तरह एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट (एबीसी) नाम की एक नई स्कीम शुरू होगी। इसमें छात्रों की बीच में छोड़ी गई पढ़ाई अब बेकार नहीं जाएगी।


बल्कि जितने समय पढ़ाई की है, उसका पूरा क्रेडिट इस प्रस्तावित बैंक में जमा रहेगा। उसके आधार पर वह कभी भी फिर से पढ़ाई शुरू कर सकेगा या फिर अपने जमा क्रेडिट को भुना भी सकेगा। इस दौरान उसने यदि एक साल की पढ़ाई पूरी कर ली है तो उसे कोर्स का सर्टिफिकेट मिल जाएगा। वहीं दो साल की पढ़ाई पूरी कर ली है तो डिप्लोमा मिल जाएगा।

एबीसी नाम से प्रस्तावित इस स्कीम के तहत विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र किसी कोर्स को बीच में छोड़कर किसी नए कोर्स की पढ़ाई भी कर सकेंगे। इस बीच उस कोर्स का क्रेडिट बाद में मुख्य कोर्स के साथ जुड़ जाएगा। यानी किसी कोर्स के बीच में भी कोई नया कोर्स करने की आजादी मिलेगी। इसके साथ ही छात्र अपने जमा क्रेडिट के आधार पर किसी दूसरे विश्वविद्यालय में भी प्रवेश ले सकेंगे। इस दौरान यह जरूर देखा जाएगा कि छात्र नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) की रैंकिंग में यदि उच्च संस्थान से निम्न रैंकिंग वाले संस्थान में जाता है तो उसका क्रेडिट ट्रांसफर हो जाएगा, लेकिन अगर वह निम्न रैंकिंग से उच्च रैंकिंग वाले संस्थान में प्रवेश लेना चाहेगा तो क्रेडिट ट्रांसफर नहीं होगा। फिलहाल यूजीसी ने इसके रेगुलेशन का मसौदा तैयार किया है जिसे लेकर देशभर के सभी विश्वविद्यालयों से राय मांगी है। उन्हें पांच फरवरी तक इस पर अपनी राय देनी है। यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने बताया कि इस स्कीम को नए शैक्षणिक सत्र से शुरू करने की योजना है। एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट (एबीसी) को मंजूरी मिलने के बाद सभी विश्वविद्यालयों को इससे जोड़ा जाएगा। ऐसे में विश्वविद्यालयों के किसी भी कोर्स में प्रवेश लेते ही छात्र का इस बैंक में अपने आप एक अकाउंट खुल जाएगा। इसके लिए उन्हें यूनिक आइडी भी मिलेगी जहां उनकी जीवनभर की पढ़ाई का ब्योरा मौजूद रहेगा। नौकरियों में दस्तावेजों के वेरीफिकेशन में भी इसकी मदद ली जा सकेगी। इसके साथ ही सभी कोर्सों के क्रेडिट का मानक भी तय होगा जिसे यूजीसी जल्द जारी करेगा। यूजीसी के प्रस्तावित ड्राफ्ट के मुताबिक, यह एकेडमिक बैंक भी कामर्शियल बैंकों की तरह काम करेगा जहां छात्रों की पढ़ाई का पूरा क्रेडिट जमा होगा। इसका वे कभी भी और कहीं भी इस्तेमाल कर सकेंगे।

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