शख्सियत: शुरुआती शिक्षा को सुधारते बेसिक शिक्षा मंत्री, जानिये इसके अब तक का सफरनामा और इनके बेसिक शिक्षा विभाग में किए गए अमूल चूक बदलाव
शख्सियत: शुरुआती शिक्षा को सुधारते बेसिक शिक्षा मंत्री, जानिये इसके अब तक का सफरनामा और इनके बेसिक शिक्षा विभाग में किए गए अमूल चूक बदलाव
यूपी में बेसिक शिक्षा विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सतीश चंद्र द्विवेदी ने पहली बार शिक्षकों के ऑनलाइन तबादले की व्यवस्था लागू की है. सैनिकों की शिक्षक पत्नियों को उनकी मनमर्जी की जगह तैनाती देने की अनोखी प्रथा भी शुरू की.
यूपी में कई अड़चनों से जूझने वाली 69,000 शिक्षकों की भर्ती को संपन्न कराकर बेसिक शिक्षा विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सतीश चंद्र द्विवेदी अब शिक्षकों की तैनाती में आ रही अड़चनों को दूर करने में जुटे हैं. सबसे बड़ी अड़चन इनके ग्रामीण और नगरीय कॉडर को लेकर हो रही है. नगरीय क्षेत्र में शिक्षकों की नियुक्ति नगर निगम या नगरीय निकाय कर रहे थे. इसके चलते बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की जो नियुक्ति होती थी उन सभी को ग्रामीण इलाकों में तैनाती मिलती थी. नतीजा गांव के स्कूलों में तो शिक्षक पूरे होते थे लेकिन शहरों के स्कूलों में शिक्षकों के काफी सारे पद खाली रह जाते थे. इस विसंगति को दूर करने के लिए सतीश एक ऐसी व्यवस्था लागू करने जा रहे हैं जिसमें ग्रामीण और नगरीय कॉडर को समाप्त कर दिया जाएगा. ऐसे में ग्रामीण इलाकों में तैनात शिक्षकों को शहरी इलाके में तैनात कर यहां पर शिक्षकों की कमी को दूर किया जाएगा. जल्द ही यह प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जा जाएगा. इसी वर्ष मार्च में बड़े पैमाने पर शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादले किये जाएंगे ताकि शहरी और नगरीय क्षेत्रों के स्कूलों में तैनात शिक्षकों की संख्या में विसंगति को दूर किया जा सके.
बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए ही पहली बार शिक्षकों के ऑनलाइन तबादले किए गए. तबादलों के लिए एनआइसी के सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया. गंभीर बीमारी, दिव्यांग जैसे इंडेक्स तय किए गए और इसी के आधार पर प्राथमिकता के आधार पर शिक्षकों का तबादला किया गया. सतीश ने देश में पहली बार बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत सैनिकों की पत्नियां या पति जो शिक्षक हैं और वे जिस जिले में अपना तबादला चाहते थे उन्हें उसी जिले में तैनाती देने की व्यवस्था की. शिक्षकों के तबादले में सबसे पहले सैनिकों के पत्नियां या पति का तबादला किया गया उसके बाद अन्य शिक्षकों का. बेसिक शिक्षा विभाग के एक लाख शिक्षकों ने तबादले के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया था जिसमें 60 हजार ने आवेदन किया था. इनमें से पहले चरण में 21 हजार शिक्षकों का तबादला किया जा चुका है. आठ हजार शिक्षकों के म्यूचुअल ट्रांसफर की प्रक्रिया भी पूरी होने को है.
बेसिक शिक्षा विभाग में करीब 1 लाख 59 हजार स्कूल थे. इनमें से कई सारे स्कूल ऐसे थे जिसमें एक ही कैंपस में प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल संचालित हो रहे थे. ऐसे करीब 25 हजार स्कूलों को सम्मिलित कराकर इन्हें एक यूनिट बना दिया गया. इस तरह ये स्कूल कक्षा एक से आठ तक के कंपोजिट विद्यालय बन गए. इस तरह अब बेसिक शिक्षा विभाग में कुल स्कूलों की संख्या घटकर एक लाख 35 हजार रह गई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जून, 2018 में स्कूलों की व्यवस्था सुधारने के लिए “ऑपरेशन कायाकल्प” की शुरुआत की थी. सतीश ने बेसिक शिक्षा विभाग के मंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद “ऑपरेशन कायाकल्प” के जरिए स्कूलों की दशा सुधारने का अभियान शुरू किया. “ऑपरेशन कायाकल्प” में स्कूलों की बिल्डिंग, खिड़की, दरवाजे, बाउंड्री, पानी की व्यवस्था, शौचालय, किचेन, दिव्यांगों के लिए रैंप, फर्नीचर, स्मार्ट क्लास समेत कुल 18 बिंदुओं पर स्कूलों की व्यवस्था सुधारने का प्रावधान किया गया है. स्मार्ट कार्ड और फर्नीचर को छोड़कर ऑपरेशन कायाकल्प के शेष बिदुंओं के आधार पर 50 हजार स्कूलों में व्यवस्था की जा चुकी है. करीब पांच हजार विद्यालय ऐसे हैं जिनमें ऑपरेशन कायाकल्प के सभी 18 पैरामीटर पूरे किए जा चुके हैं. बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक बच्चों को क्या, कैसे और कब पढ़ाएगा, इसका कोई प्रोटोकाल नहीं था. सतीश ने शिक्षण का एक प्रोटोकाल तैयार कराकर इसे तीन हैंडबुक के रूप में शिक्षकों को सौंपा गया. प्रोटोकाल जरिए यह तय किया गया कि किस दिन शिक्षक क्या पढ़ाएंगे? इसके अलावा कक्षाओं में रोचकता लाने के लिए इनकी दीवारों पर चित्रात्मक बनाया जा रहा है. अब कक्षाओं की दीवारों के जरिए भी बच्चा जानकारी हासिल कर सकेगा. इन दीवारों पर उन फलों, जानवरों या वस्तुओं के चित्र उकेरे जा रहे है जिनके बारे में बच्चा किताबों में पढ़ता है. इसके अलावा दीवारों पर पोस्टर टांग कर भी बच्चों को अलग-अलग जानकारियां दी जा रही हैं. हर प्राथमिक विद्यालय की एक प्रधान की अध्यक्षता में एक प्रबंध समिति थी लेकिन इसकी बैठकें नहीं होती थी. सतीश ने हर विद्यालय की प्रबंध समिति की नियमित बैठकें कराने की व्यवस्था की. सतीश व्हाट्सऐप पर इन बैठकों की पूरी जानकारी लेते हैं.
सतीश ने बेसिक शिक्षा विभाग की कमान संभालते ही सभी स्कूल में पैरेंट्स-टीचर मीटिंग करने की शुरुआत की. पिछले वर्ष कोरोना महामारी फैलने से पहले सभी स्कूलों में हर तीन महीने में एक बार पैरेंट्स-टीचर मीटिंग शुरू हो गई थी. हर विद्यालय में वार्षिक समारोह करने की भी व्यवस्था की गई. इसके लिए दस हजार रुपए के कंपोजिट ग्रांट में से खर्च करने की व्यवस्था भी की गई. इतना ही नहीं सतीश ने हर विद्यालय को ‘एलुमनी एसोसिएशन’ बनाने का भी निर्देश दिया है. विद्यालय से पढ़कर निकले लोगों की पूरी जानकारी इकट्ठा की जाएगी. समय-समय पर एलुमनी एसोसिशन की बैठकें भी की जाएगी और विद्यालय की व्यवस्था में सुधार के लिए पुरातन छात्रों से सहयोग भी लिया जाएगा. सतीश ने बेसिक शिक्षा विभाग में एक शासनादेश भी जारी कराया है कि कोई भी व्यक्ति, संस्था, फर्म किसी भी विद्यालय को गोद लेकर उसकी व्यवस्था में सुधार कर सकती है. इसमें विद्यालय का नाम तो नहीं बदलेगा लेकिन स्कूल की प्रमुख दीवार पर एक डिस्प्ले बोर्ड लगाकर संस्था इस बात का जिक्र कर सकती है कि उसके विद्यालय को गोद किस प्रयोजन हेतु लिया है.
बेसिक शिक्षा विभाग को केंद्र सरकार से आर्थिक मदद मिलने के बाद यूपी के 1,300 जर्जर स्कूलों को गिराकर उनकी जगह नई बिल्डिंग बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. एक स्कूल की बिल्डिंग बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 16 लाख रुपए दिए हैं. इसके अलावा स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था के लिए सरकार से 300 करोड़ रुपए मिले हैं. आने वाले दिनों में यूपी के सभी जूनियर हाइस्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था कर दी जाएगी. प्राइमरी स्कूलों में भी डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड, ग्राम निधि या कॉर्पोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी फंड से फर्नीचर की व्यवस्था कराई जा रही है. पिछड़ा जिला के रूप में जाना जाने वाला सोनभद्र के हर विद्यालय में फर्नीचर की व्यवस्था की जा चुकी है. इसके साथ ही सभी स्कूलों में विद्युतीकरण का भी एक अभियान चलाया जा रहा है. बेसिक शिक्षा विभाग में पढ़ने वाले बच्चों की सभी संख्या पर संशय है. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, एक लाख 80 हजार बच्चे बेसिक शिक्षा विभाग में पढ़ रहे हैं लेकिन यह सही आंकड़ा नहीं है. सतीश को जानकारी मिली है कि कई अभिभावक अपने बच्चे को निजी स्कूलों में पढ़ाने के साथ ही उनका दाखिला सरकारी स्कूलों में भी करा रखा है. विद्यालय में बच्चों की संख्या के अनुसार ही कंपोजिट ग्रांट भी मिलती है. ऐसे में शिक्षक भी इस फर्जीवाड़े में शामिल रहते हैं. ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में पढ़ने वाले सभी बच्चों का आधार फीडिंग कराया जा रहा है. बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं थी. सतीश ने विश्वविद्यालयों और डिग्री कालेजों की तर्ज पर शिक्षकों की ट्रेनिंग और आरिएंटेयशन कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई है. अगर शिक्षकों को प्रमोशन लेना है तो उसे इस तरह के आरिएंटेशन कार्यक्रमों से गुजरना पड़ेगा. बेसिक शिक्षा विभाग में पारदार्शिता लाने के लिए सतीश ने पूरी व्यवस्था आनलाइन कर दी है. सेवा पुस्तिका, वेतन का विवरण, जीपीएफ, पेंशन, छुट्टी का विवरण ऑनलाइन कर दिया है. अभी तक शिक्षकों की छुट्टी को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग में कई प्रकार की गड़बडि़यां पकड़ी जा चुकी हैं.
बेसिक शिक्षा विभाग को नए रंग-ढंग में ढालने में जुटे सतीश द्विवेदी मूलत: सिद्धार्थनगर के इटवा विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले शनिचरा गांव के रहने वाले हैं. इनके पिता किसान थे. सतीश की शुरुआती शिक्षा गांव के ही प्राइमरी विद्यालय में हुई. उस वक्त इनके विद्यालय की बिल्डिंग ही नहीं थी. घर से बोरा तख्ती ले जाकर खुले आसमान में खंडहर के बीच विद्यालय में तैनात इकलौते शिक्षक से सतीश ने कक्षा पांच तक की शिक्षा ली. कक्षा छह से आठ तक की पढ़ाई इन्होंने जूनियर हाइस्कूल खुनियाव में की. घर के पास श्रीराधाकृष्ण इंटर कालेज तलपुरवा से सतीश ने हाइस्कूल की पढ़ाई की. इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए ये बस्ती आ गए. 1993 में इन्होंने फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमैटिक्स से राजकीय इंटर कॉलेज बस्ती से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की. सतीश को फिजिक्स में तो रुचि थी लेकिन केमिस्ट्री विषय से काफी परेशानी होती थी. इसी से बचने के लिए इन्होंने बस्ती के एपीएन डिग्री कालेज में आर्ट्स विषय से बीए में दाखिला ले लिया. 1996 में इन्होने अर्थशास्त्र और मध्यकालीन भारतीय इतिहास से स्नातक किया.
सतीश स्कूल के समय से ही वादविवाद और भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लेते थे. वर्ष 1994 में जब यह बीए प्रथम वर्ष में थे तभी बस्ती में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया. इसमें वाद-विवाद, भाषण, पोस्टर समेत सात श्रेणियों ने सतीश ने पहला पुरस्कार जीता. इसके बाद एबीवीपी के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों ने प्रतियोगिता जीतकर चर्चा में आए सतीश को संगठन से जोड़ लिया. स्नातक पाठ्यक्रम के दौरान ही इनका अर्थशास्त्र में रुझान हो गया. पीजी करने सतीश गोरखपुर आ गए. वर्ष 1998 में इन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र विषय से पीजी किया. जून 1999 में इन्होंने नेशनल इलीजिबिलिटी टेस्ट (नेट) उत्तीर्ण की. एक साल तक गोरखपुर विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाने के बाद सतीश का चयन उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा आयेाग में हो गया. इन्होंने 30 अप्रैल 2001 बुद्ध पीजी कॉलेज कुशीनगर में अर्थशास्त्र विभाग में सहायक प्रोफेसर के तौर पर ज्वाइन किया. इसके बाद इन्होंने “नई इकॉनामिक पॉलिसी का भारत की मौद्रिक नीति में पड़ने वाले प्रभाव” विषय पर पीएचडी किया. 12 दिसंबर 2018 तक बुद्ध पीजी कालेज कुशीनगर में तैनात रहने के बाद इनका तबादला बुद्ध विद्यापीठ सिद्धार्थनगर के अर्थशास्त्र विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर हो गया, जहां सतीश अभी भी तैनात हैं. वर्ष 1994 से 2007 तक सतीश एबीवीपी के विभिन्न पदों बस्ती में कार्यालय प्रभारी, गोरखपुर में कोषाध्यक्ष, नगर सह मंत्री, सह विभाग प्रमुख के बाद गोरखपुर, महाराजगंज, देवरिया और कुशीनगर जिलों को मिलाकर बने विभाग के सह विभाग प्रमुख के बाद विभाग प्रमुख बने. संघ का गोरक्ष प्रांत और कुशीनगर प्रांत को मिलाकर उस वक्त एबीवीपी का पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रांत हुआ करता था. सतीश पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रांत के प्रांतीय उपाध्यक्ष बने.
वर्ष 2007 में सतीश भाजपा के गोरखपुर क्षेत्र के प्रशिक्षण विभाग के प्रभारी बनाए गए. वर्ष 2013 तक यह इसी पद पर रहे. इसके बाद यह भाजपा के इसी प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के उत्तर प्रदेश के संयोजक बना दिए गए. इसी समय वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा ने पूरे प्रदेश में पंडित दीन दयाल उपाध्याय प्रशिक्षण महा अभियान चलाया. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सतीश को इटवा विधानसभा क्षेत्र से वरिष्ठ सपा नेता और छह बार विधायक रहे माता प्रसाद पांडेय के सामने चुनाव में उतारा. सतीश ने इटवा से विधानसभा चुनाव जीता और पहली बार विधायक बने. 21 अगस्त, 2019 को सतीश द्विवेदी को बेसिक शिक्षा विभाग में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में योगी सरकार में जगह दी गई. इसके बाद से सतीश शुरुआती शिक्षा को संवारने में जुटे हुए हैं.
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