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तबादले से कई स्कूलों में ताला, अन्तर जनपदीय तबादलारत शिक्षकों को कार्यमुक्त करने का जारी रहा सिलसिला

 तबादले से कई स्कूलों में ताला, अन्तर जनपदीय तबादलारत शिक्षकों को कार्यमुक्त करने का जारी रहा सिलसिला

गोंडा। अंतर्जनपदीय तबादले से जिले में 200 परिषदीय स्कूल एकल हो गए हैं। वहीं 14 के करीब स्कूल तो ऐसे हैं जहां पर सिर्फ शिक्षामित्र ही बचे हैं। अंतर जनपदीय तबादलों के बाद परिषदीय स्कूलों में पठन-पाठन पर बुरा असर पड़ना तय है।

जिसे से 1085 शिक्षक बाहर भेजे गए हैं जबकि आने वाले सिर्फ 37 शिक्षक हैं। पहले ही 151 स्कूल एकल थे, वहां पर अभी नवनियुक्त शिक्षकों को भेजा गया है। लेकिन 1133 शिक्षकों को पहले ही स्कूलों का आवंटन किया जा चुका है, अब एकल व बंद हो रहे स्कूलों को स्थाई अभी मिलना मुश्किल भरा है। माना जा रहा है कि इससे शिक्षण कार्य प्रभावित होना तय है।


जिले से एकमुश्त में 1085 शिक्षकों का तबादला गैर जनपद हो गया है। जिनके कार्यमुक्ति की कार्रवाई पूरी हो गई है। माना जा रहा है कि 100 के करीब शिक्षकों ने कार्यमुक्ति नही लिया है। उन्हें मनचाहा जिला नही मिला तो आने वाले दिनों में तबादले के लिए इंतजार करेंगे।
इसके अलावा 900 से अधिक शिक्षकों की कार्यमुक्ति स्कूलों से हो गई है और अब जिले से कार्यमुक्ति मंगलवार को शुरू किया गया। देर शाम तक शिक्षकों के कार्यमुक्ति की कार्रवाई जारी रही।
इससे जिले के परिषदीय स्कूलों में फिर शिक्षकों की कमी होना तय है। नवनियुक्त 1133 शिक्षकों के स्कूल आवंटन में अंतर जनपदीय तबादले से रिक्त हो रहे स्कूलों को शामिल ही नही किया। उन्होंने उस समय एकल और दो शिक्षकों वाले स्कूलों में भेज दिया गया है। इससे अभी रिक्त हो रहे स्कूलों को स्थाई शिक्षक मिलने की उम्मीद नही है।

शिक्षकों के तबादले से एकल व बंद हो रहे स्कूलों में शिक्षकों की वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। कुछ ब्लाकों में शिक्षकों को स्कूलों में शिक्षण कार्य के लिए आदेशित किया गया है। वहीं अभी कई ब्लाकों में यह कार्रवाई नही हो पाई है।
बताया जा रहा है कि ब्लाक के ही दूसरों स्कूलों से शिक्षकों को भेजे जाने की कार्रवाई से भी शिक्षण कार्य पर असर पड़ना तय है। भले ही अभी बच्चों को नही बुलाया जा रहा है लेकिन वाटसएप के जरिए और मोहल्ला क्लासों की हो रही कार्रवाई प्रभावित हुई है।
अंतर जनपदीय तबादले के शिक्षकों को कार्यमुक्ति के दौरान कई तरह की समस्या से जूझना पड़ा। कुछ ब्लाकों से देर से पत्रावलियां आने से जहां शिक्षक परेशान हुए, वहीं कार्यमुक्ति की कार्रवाई के कोई सटीक व्यवस्था न होने से भी दिक्कत आई। माना जा रहा है कि शिक्षकों को कई तरह से परेशान किया गया।

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