अगर स्कूल आवंटन की प्रक्रिया में बदलाव न हुआ तो अंतर्जनपदीय तबादला प्राप्त महिला व दिव्यांग शिक्षकों को मिलेंगे दूरदराज के स्कूल
अगर स्कूल आवंटन की प्रक्रिया में बदलाव न हुआ तो अंतर्जनपदीय तबादला प्राप्त महिला व दिव्यांग शिक्षकों को मिलेंगे दूरदराज के स्कूल
अगर स्कूल आवंटन की प्रक्रिया में बदलाव न हुआ तो अंतर्जनपदीय तबादला प्राप्त महिला व दिव्यांग शिक्षकों को दूरदराज के स्कूल ही मिलेंगे क्योंकि ऐसा इसलिए है क्योंकि अभी हाल ही में 69 हजार भर्ती के द्वितीय चरण में जो प्रकिया अपनाई गई उमसें ऐसा ही हुआ है.
69
हजार में वरीयता के नाम पर महिला व दिव्यांग शिक्षकों को मिले दूरदराज के
स्कूल और पुरुष शिक्षक जिन्हें सबसे बाद में विकल्प चुनने की सुविधा मिली,
उन्हें मिले पास के स्कूल। बेसिक शिक्षा विभाग सुविधा देना चाहता था
विकलांग और महिला शिक्षकों को लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। 69 हजार शिक्षक
भर्ती के दूसरे चक्र में भर्ती 36590 शिक्षकों की तैनाती में पुरुष
शिक्षकों को महिला व विकलांग शिक्षकों की अपेक्षा बेहतर स्कूल मिले हैं।
दरअसल
विभाग ने स्कूल चुनने के लिए महिला व विकलांग शिक्षकों को वरीयता दी और
उन्हें पहले मौका दिया गया कि वे अपनी पसंद के स्कूल चुन सके लेकिन स्कूलों
की सूची में एकल व शून्य शिक्षक वाले स्कूलों को पहले रखा गया और यहीं पर
गड़बड़ हो गई। लिहाजा महिलाओं व विकलांगों को उन्हीं में से चुनना पड़ा। इस
बार पुरुष शिक्षकों को भी विकल्प का मौका दिया गया था। बाद में बचे हुए
शहर या कस्बे के आसपास के स्कूलों में पुरुष शिक्षकों को तैनाती मिल गई।
अब
महिला व दिव्यांग शिक्षकों में असंतोष है। उन्हें वरीयता के नाम पर
दूरदराज के गांवों में 50-60 किमी का सफर करके जाना पड़ रहा है। नाम न
छापने की शर्त पर सीतापुर में तैनात शिक्षिका का कहना है कि शासन को वरीयता
तय करते समय ये देखना चाहिए था कि सबको उनके मुताबिक स्कूल मिले। सरकार को
लग रहा है कि उसने महिला व विकलांगों को उनकी पसंद के स्कूलों में तैनाती
दी है जबकि हुआ इससे उलट है।
अब मेरा शासन से अनुरोध है सभी स्कूलों को एक साथ ही ओपन किया जाए जिससे शासन की मंशा पूर्ण हो सके.
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