माननीय का मान बचा, साहब की साख
माननीय का मान बचा, साहब की साख
परीक्षा तो छात्रों की लेने चले थे, लेकिन इम्तिहान बड़ों का फंस गया। स्कूली बच्चों की क्षमता परखने का ख्याल आया तो झटपट कार्यक्रम जारी कर दिया गया। तय हुआ कि दो दिन में परीक्षा होगी और दो-तीन दिन में परिणाम जारी होंगे।
इस आदेश से शिक्षक परेशान हो गए। माननीय से गुहार लगाई कि होली तो मनाने दीजिए। माननीय मान गए और महकमे के बड़े साहब से कह दिया कि परीक्षा करा लीजिए, लेकिन परिणाम अगले महीने के लिए टाल दीजिए। साहब न जाने किस दबाव में थे कि होली में शिक्षकों की ड्यूटी न लगाने के आदेश तो कर दिए, लेकिन परिणाम की तिथि नहीं बढ़ाई। यूं तो माननीय के आदेशों की अवहेलना हो ही गई। वह दिल पर ले लेते तो साहब के लिए परेशानी। गनीमत है कि बड़े माननीय ने स्कूल बंद कर परीक्षा ही टाल दी । आखिरकार माननीय का मान भी बच गया और साहब की साख भी।
इस आदेश से शिक्षक परेशान हो गए। माननीय से गुहार लगाई कि होली तो मनाने दीजिए। माननीय मान गए और महकमे के बड़े साहब से कह दिया कि परीक्षा करा लीजिए, लेकिन परिणाम अगले महीने के लिए टाल दीजिए। साहब न जाने किस दबाव में थे कि होली में शिक्षकों की ड्यूटी न लगाने के आदेश तो कर दिए, लेकिन परिणाम की तिथि नहीं बढ़ाई। यूं तो माननीय के आदेशों की अवहेलना हो ही गई। वह दिल पर ले लेते तो साहब के लिए परेशानी। गनीमत है कि बड़े माननीय ने स्कूल बंद कर परीक्षा ही टाल दी । आखिरकार माननीय का मान भी बच गया और साहब की साख भी।
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