नए पाठ्यक्रम से दूर होगा सरकारी स्कूलों के बच्चों का तनाव,दिल्ली की तर्ज पर बेसिक शिक्षा परिषद लागू करेगा नया पाठयक्रम
नए पाठ्यक्रम से दूर होगा सरकारी स्कूलों के बच्चों का तनाव,दिल्ली की तर्ज पर बेसिक शिक्षा परिषद लागू करेगा नया पाठयक्रम
वाराणसी। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में संचालित हो रहे हैप्पीनेस पाठ्यक्रम की तारीफ पिछले वर्ष अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया ने की के बाद से दुनिया भर में इसको रोल मॉडल बनाने की तैयारी चल रही है। वर्तमान शैक्षिक सत्र पायलट प्रोजेक्ट के तहत उत्तर प्रदेश के हापुड़ व बुलंदशहर जनपद के 50 स्कूलों में चलने वाला हैप्पीनेस पाठ्यक्रम अब नए सत्र से वाराणसी में शुरू होगा। महानिदेशक स्कूली शिक्षा ने पाठ्यक्रम के लिए बीएसए को जरूरी तैयारियां शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
दिल्ली की तर्ज पर वाराणसी में चलने वाले इस पाठ्यक्रम को पढ़ाने की जिम्मेदारी स्टेट रिर्सोंस ग्रुप और एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एसआरजी व एआरपी) को मिल सकती है। जिले में हर ब्लॉक के
एक मॉडल प्राथमिक विद्यालय या पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पाठ्यक्रम लागू करने पर चर्चा हो रही है। इसके बाद अन्य विद्यालयों में इसके विस्तार पर विचार की जाएगी। फिलहाल 40 मिनट का यह पाठ्यक्रम दिल्ली के सरकारी स्कूलों प्रतिदिन पहले परीरियड में चलाया जा रहा है।
ऐसे संचालित होता है पाठ्यक्रम
पाठ्यक्रम में बारी-बारी चार विधियों का इस्तेमाल किया जाता है। पहली विधि माइंड फु लनेस की है, जिसमें बच्चों को ध्यान कराया जाता है। इससे का भावनात्मक रूप से स्थिर होते हैं। शांति व खुशी के अहसास की ओर बढ़ते हैं। दूसरी स्टोरी टेलिंग है, जिसमें बच्चों को कहानी सुनाकर उनसे गंभीर सवाल जवाब करने की बजाय कहानी के भाव और मूल्यों से जोड़ने की कोशिश होती तोसरी विधि गतिविधि है, जिसमें खेल-खेल में बच्चें की विश्लेषणात्मक क्षमता और तर्क शीलता को बढ़ाने की कोशिश की जाती है। अंतिम विधि अभिव्यक्ति में विद्यार्थियों को बिना झिझक अपनी बात करने का मौका दिया जाता है।
मानवीय मूल्यों का होगा विकास
बच्चे दयालु बने....शांत .गुस्सा, घृणा जैसे भावों से दूर रहें...हैप्पीनेस पाठयक्रम कुछ ऐसे ही मानवीय मूल्यों का विकास करता है। पाठयक्रम में योग, ध्यान और कहानी के माध्यम से मानवीय मूल्यों को सिखाया जाता है। सम्मान करने, भरोसा करना, प्रेम करने जैसे मूल्यों पर वर्षभर गतिविधियां कराई जाती हैं। इसके लिए शिक्षकों को माइक्रो योग से प्रशिक्षित किया जाता है। विभाग ने इसके लिए आर्ट ऑफ लिविंग व अखिल विश्व गायत्री परिवार का भी सहयोग लेने की कार्ययोजना बनाई है।
कोरोना की वजह से लॉकडाउन में बच्चे कई महीनों तक घर में हो रहे। इससे उनके दिमाग पर काफी नकारात्मक असर भी पड़ा है। नए सत्र से हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के जरिए बच्चों को तनाव और अवसाद मुक्त करने की कोशिश की जाएगी। इसके तहत कुछ घंटे इस पाठ्यक्रम के हिसाब से एक्टिविटी करवाई जाएगी, जिसमें ध्यान, योग व अन्य विधाओं के जरिए बच्चों में संस्कार सृजन किया जाएगा । -राकेश सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
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