कोरोना काल में माताओं को पढ़ाया ताकि बच्चे पढ़ सकें
कोरोना काल में माताओं को पढ़ाया ताकि बच्चे पढ़ सकें
कोरोना संक्रमण काल में बदलती व्यवस्था को देखते हुए छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने बच्चों के साथ-साथ अब उनकी माताओं को भी प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है। यह कवायद कोरोना काल में स्कूल का मुंह नहीं देख पाने वाले ऐसे बच्चों के लिए है जो आनलाइन पढ़ाई करने में सक्षम नहीं है। ‘अंगना में ही शिक्षा’ के नाम से चल रहे इस कार्यक्रम में बच्चों को उनके आंगन में घर की चीजों से ही बनी पठन-पाठन सामग्री के साथ पढ़ाया जा रहा है।
रायपुर में इसका सफल प्रयोग हो चुका है। दावा है कि माताओं को पढ़ाकर उनके बच्चों को पढ़ाने का यह फामरूला सार्थक साबित हुआ है। बच्चों में सीखने की ललक जागी है और वह भयमुक्त वातावरण के साथ पढ़ाई कर रहे हैं। आने वाले समय में इस माडल को प्रदेश के अन्य इलाकों में भी लागू करने की तैयारी चल रही है। बच्चों को पढ़ाने के लिए महिलाएं अपने आसपास की चीजों मसलन फल-सब्जी आदि का सहारा ले रहीं हैं। रंगों के बारे में बताने के लिए घर की किसी भी चीज के रंग को दिखाकर पढ़ा रही हैं। बच्चों को चने या मटर गिनवाकर गिनती से परिचित कराया जा रहा है।
अंगना में ही शिक्षा’ कार्यक्रम कोरोना काल में एक अच्छा माध्यम बन सकता है। प्रदेश में लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
डा. आलोक शुक्ला, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा
450 गांवों में चला प्रयोग
कोरोना काल में जब लोग घर के भीतर सिमटे हुए थे, तब 246 शिक्षिकाएं माताओं को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षण ले रहीं थीं। इसके बाद वह एक-एक माता को पढ़ाने में जुट गईं। पहले अपने स्कूलों के बच्चों की माताओं को पढ़ाया और उन्हें छोटे बच्चों को पढ़ाने का तरीका सिखाया। नतीजा, माताओं ने अपने बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा देना शुरू कर दिया। जिस घर में माताएं बिल्कुल नहीं शिक्षित हैं, वहां पिता को पढ़ाने की तैयारी है।
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