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जिले में 500 शिक्षक पुरानी व नई दोनों पेंशन योजना के दायरे से बाहर, वर्ष 2005 के बाद नियुक्त शिक्षक NPS पर गंभीर नहीं

 जिले में 500 शिक्षक पुरानी व नई दोनों पेंशन योजना के दायरे से बाहर, वर्ष 2005 के बाद नियुक्त शिक्षक NPS पर गंभीर नहीं

वाराणसी : सूबे में पुरानी पेंशन योजना 2005 से ही बंद है। इसके स्वान पर नई पेंशन योजना (एनपीएस ) लागू है। वहीं 2005 के बाद निवुक्त तमाम शिक्षक कर्मचारी एनपीएस को लेकर गंभीर नहीं हैं। शासन के निर्देश के बावजूद परिषदीय विद्यालयों के करीब 500 शिक्षकों ने अब तक नई पेंशन योजना के लिए आवेदन ही नहीं किवा है। इसमें से कुछ ने एनपौसी में कटौती ऐसे में वह पुरानी योजना के दयरे से बाहर हैं। बनारस में हो नहीं सूबे अन्य जनपदों का भी वही हाल जनपद में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में करीब 650 शिक्षक नियुक्त हैं। इसमें से करीब 4000 शिक्षक ई पेंशन योजना से आच्छादित हैं। वहीं 3500 शिक्षक ही एनपीएस खाते के लिए वेतन से कटौती करा रहे हैं। ऐसे शिक्षकों को 14 फीसद सरकारी अंशदान भी मिल रहा है। हालांकि पिछले 4 महीने से सरकारी अंशदान लंबित चल रहा था। 
 
सरकारी अंशदान के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश संयुक्त मंत्री ब जिलाध्यक्ष शशांक कुमार पांडेव 'शेखर' लगातार लेखा विभाग पर दबाव बनाए हुए वे। बहरहाल सरकर ने मार्च के अंतिम सप्ताह पूरे प्रदेश के लिए 739 करोड़ रुपये जारी किया। इसमें वाराणसी जनपद के लि 50 करोड़ रुपये भी शामिल है। वहीँ लेखा विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में लग जाने के कारण सरकारी अंशदान शिक्षकों के खाते में स्थानांतरित नहीं किया जा सका था। दूसरी ओर अप्रैल में लेखा विभाग के भी कई कर्मचारी कोरोना पाजिटिव हो गए थे। इससे भी लेखा विभाग का कामकाज प्रभावित हुआ। वित्त व लेखाधिकारी अनूप मिश्रा ने बताया कि दे दिन पहले शिक्षकों के एनपीएस खाते में सरकारी अंशदान स्थानांतरित करने के लिए टूंजरी में बिल लगा दी गई है जो एक दो दिन में क्रेडिट हो जाएगी।

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