खंड शिक्षा अधिकारी के दफ्तरों में परिषदीय शिक्षक देख रहे कामकाज, कर रहे जमकर वसूली
खंड शिक्षा अधिकारी के दफ्तरों में परिषदीय शिक्षक देख रहे कामकाज, कर रहे जमकर वसूली
चंदौली : जिले में शासन की गाइडलाइन का सीधा उल्लंघन किया जा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग में शासन के आदेश को धता बताते हुए शिक्षकों से कार्यालयी कार्य कराए जा रहे हैं। सभी बीईओ दफ्तरों में शिक्षक बाबू बने हुए हैं। अध्यापकों का वेतन बिल, सर्विस बुक अपडेट करने व अन्य कार्यों के लिए वसूली कर अधिकारियों की जेबें
गरम कर रहे हैं। इसको लेकर अध्यापक अब मुखर होने लगे हैं। उन्होंने तत्काल ऐसे शिक्षकों को पटल सहायक के कार्य से हटाने की मांग की है। इस पर विचार नहीं किया गया तो आंदोलन की चेतावनी भी दी है। जिले में कई ऐसे शिक्षक हैं, जो अधिकारियों के खास बनकर शिक्षण से इतर दफ्तरों में अपनी तैनाती करा लेते हैं। जिले के नौ ब्लाकों में सभी बीईओ दफ्तर में शिक्षक बाबू के काम कर रहे हैं। बाबू बने शिक्षक अपने सहकर्मियों से वसूली में नहीं हिचकिचाते हैं। पिछले दिनों शहाबगंज बीआरसी पर तैनात शिक्षक की एक अध्यापक के साथ बातचीत का आडियो वायरल हुआ था। इसमें शिक्षक ने सर्विस बुक समेत अन्य कार्यों के लिए अध्यापक से पैसे की मांग कर रहा था। अध्यापक ने आपत्ति जताई तो बोला, कि सभी ब्लाकों में ऐसा होता है। यह परंपरा पहले से ही चली आ रही है। विभाग की किरकिरी होने के बाद बाबू बने शिक्षक को निलंबित कर दिया गया। दरअसल, यह किसी एक जिले की समस्या नहीं बल्कि वाराणसी मंडल के सभी जिलों में ऐसी स्थिति है। इसकी शिकायत पर सहायक शिक्षा निदेशक ने दिसंबर 2018 में ही गाइडलाइन जारी कर बीएसए को निर्देशित किया था कि किसी भी शिक्षक को कार्यालयी कार्यों में न लगाया जाए। इसकी शिकायत मिली तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि शासन की हिदायत बेअसर रही। अभी भी शिक्षक दफ्तरों में काम कर रहे हैं। इससे विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। इसको लेकर अधिकारी भी कुछ बोलने को तैयार नहीं। बीएसए भोलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा सभी खड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे किसी शिक्षक से कार्यालय का काम न लें। उन्हें उनके विद्यालयों में भेजें। वे वसूली मामले की स्वयं जांच करेंगे। इस वसूली में कौन-कौन संलिप्त है जांच के बाद कार्रवाई होगी।
गरम कर रहे हैं। इसको लेकर अध्यापक अब मुखर होने लगे हैं। उन्होंने तत्काल ऐसे शिक्षकों को पटल सहायक के कार्य से हटाने की मांग की है। इस पर विचार नहीं किया गया तो आंदोलन की चेतावनी भी दी है। जिले में कई ऐसे शिक्षक हैं, जो अधिकारियों के खास बनकर शिक्षण से इतर दफ्तरों में अपनी तैनाती करा लेते हैं। जिले के नौ ब्लाकों में सभी बीईओ दफ्तर में शिक्षक बाबू के काम कर रहे हैं। बाबू बने शिक्षक अपने सहकर्मियों से वसूली में नहीं हिचकिचाते हैं। पिछले दिनों शहाबगंज बीआरसी पर तैनात शिक्षक की एक अध्यापक के साथ बातचीत का आडियो वायरल हुआ था। इसमें शिक्षक ने सर्विस बुक समेत अन्य कार्यों के लिए अध्यापक से पैसे की मांग कर रहा था। अध्यापक ने आपत्ति जताई तो बोला, कि सभी ब्लाकों में ऐसा होता है। यह परंपरा पहले से ही चली आ रही है। विभाग की किरकिरी होने के बाद बाबू बने शिक्षक को निलंबित कर दिया गया। दरअसल, यह किसी एक जिले की समस्या नहीं बल्कि वाराणसी मंडल के सभी जिलों में ऐसी स्थिति है। इसकी शिकायत पर सहायक शिक्षा निदेशक ने दिसंबर 2018 में ही गाइडलाइन जारी कर बीएसए को निर्देशित किया था कि किसी भी शिक्षक को कार्यालयी कार्यों में न लगाया जाए। इसकी शिकायत मिली तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि शासन की हिदायत बेअसर रही। अभी भी शिक्षक दफ्तरों में काम कर रहे हैं। इससे विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। इसको लेकर अधिकारी भी कुछ बोलने को तैयार नहीं। बीएसए भोलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा सभी खड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे किसी शिक्षक से कार्यालय का काम न लें। उन्हें उनके विद्यालयों में भेजें। वे वसूली मामले की स्वयं जांच करेंगे। इस वसूली में कौन-कौन संलिप्त है जांच के बाद कार्रवाई होगी।
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