Header Ads

पूर्व सेवा के वेतन संरक्षण के लिए स्पष्टीकरण आदेश का इंतजार, एक राजकीय सेवा से दूसरी में जाने वाले कार्मिकों को हो रही मुश्किलें

 पूर्व सेवा के वेतन संरक्षण के लिए स्पष्टीकरण आदेश का इंतजार, एक राजकीय सेवा से दूसरी में जाने वाले कार्मिकों को हो रही मुश्किलें


लखनऊ। एक राजकीय सेवा से दूसरी राजकीय सेवा में नियुक्त व एसीपी के माध्यम से उच्च वेतन प्राप्त करने वाले कार्मिकों के बेतन निर्धारण में कठिनाई आ रहो है। इससे कार्मिकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। अधीनस्थ उद्यान सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष अविनाश चंद्र श्रीवास्तव ने अपर मुख्य सचिव वित्त को पत्र लिखकर एसीपी के माध्यम से उच्च बेतन प्राप्त करने वाले सरकारी कार्मिकों के वेतन निर्धारण के संबंध में स्पष्टीकरण शासनादेश जारी करने की मांग की है। शासन ने एक राजकीय सेवा से दूसरी राजकीय सेवा में नियुक्त होने वाले कर्मियों के बेतन निर्धारण के संबंध में 11 मई 2020 को एक शासनादेश जारी किया था। वित्त विभाग के इस शासनादेश में कहा गया था कि यदि कार्मिक पूर्व पद के संदर्भ में समयमान-वेतनमान की व्यवस्था के अंतर्गत बैयक्तिक प्रोन्‍्नत वेतनमान अथवा सुनिश्चित वित्तीय स्तरोन्‍्नयन (एसीपी) के लाभ के फलस्वरूप वेतन प्राप्त कर रहा है तो उसके वेतन निर्धारण का प्रकरण इस शासनादेश से आच्छादित नहीं होगा। ऐसे प्रकरण के लिए अलग से आदेश जारी किए जाएंगे। एक वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद इस तरह के प्रकरण के लिए अलग से शासनादेश जारी नहीं किया गया। इससे बड़ी संख्या में कर्मचारी आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं।


69000 रुपये पा रहे थे, 45600 पाने लगे
सचिवालय सेवा के एक अपर निजी सचिव शज्य लोक सेवा आयोग में अपर निजी सचिव के पद पर लेवल 10 में कार्यरत थे। आयोग से कार्यमुक्त होने के समय उनका मूल वेतन 69000 रुपये था। सेवा में आने पर| उनका मूल वेतन 45600 फिक्स किया गया। वेतन संरक्षण का आदेश जारी न होने से उन्हें प्रतिमाह वित्तीय नुकसान हो रहा है। इन्हें राज्य लोक सेवा आयोग से सचिवालय सेवा में आए हुए 3 वर्ष से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन बेतन संरक्षण का लाभ नहीं मिला. सेवा में प्राप्त हो रहे मूल बेतन को संरक्षित करने के लिए कई पत्र लिख चुके हैं। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है। बड़ी संख्या में कर्मचारी इसी तरह का नुकसान झेल रहे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं