शिक्षक की मौत से बेसहारा हुई बेटियां:- पांच दिन बाद शिक्षक के पिता की भी हुई मृत्यु, दो वर्ष पूर्व पत्नी की हो चुकी है मौत
सिद्धार्थनगर:- कोरोना काल में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में निर्वाचन ड्यूटी के दौरान बड़ी संख्या में कर्मचारी संक्रमण के शिकार हुए। इनमें से बहुत से लोगों ने जिंदगी की जंग जीत ली तो कुछ लोग इतने भाग्यशाली नहीं रहे प्रदेश भर में बहुत से कर्मियों को जान भी गंवानी पड़ी। ऐसी ही वाक्या फरेंदा तहसील क्षेत्र के रतनपुर गाँव निवासी सिद्धार्थनगर में
शिक्षक के पद पर कार्यरत रहे अश्वनी तिवारी के परिवार की भी है। पंचायत चुनाव के प्रशिक्षण के दौरान अश्वनी 11 अप्रैल को संक्रमित हो गए थे। तबीयत बिगड़ी सांस फूलने लगी तो स्वजन व शुभेच्छुओं ने गोरखपुर के एक हास्पिटल में भर्ती कराया जहाँ वह काविड पाजिटिव पाए गए एक सप्ताह तक चले इलाज के दौरान अस्पताल में ही उनकी 21 अप्रैल को मौत हो गई। उनकी पत्नी की दो वर्ष पूर्व ही मौत हो चुकी है। वहीं अश्वनी की मौत के पांच दिन बाद ही उनके पिता सुरेश तिवारी की भी मृत्यु हो गई माँ बाप का साया सिर से छिन जाने से अनाथ हुई 11 वर्षीय अपर्णा व 7 वर्षीय आराध्या बाचा की मौत से पात हो गई है। यह बच्चियां अपने दादी के पास रहती है। परिवार पर हुए इस वज्रपात पर शासन प्रशासन व जन प्रतिनिधियों तक ने भी सुधि नहीं ली। वहीं प्रदेश सरकार भी पंचायत चुनाव में निर्वाचन ड्यूटी के दौरान मृत हुए लोगों की संख्या महज तीन ही मान रही है। इस विपदा में शासन से कोई अनुग्रह राशि न मिलने से इन बच्चियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। भारतेंदु मिश्र, पवन गुप्ता, विनय मनहर, विनय मिश्र, कमलानन शुक्ला, पवन शुक्ला, विनय कुमार त्रिपाठी, महेंद्र मिश्र, सुधामयी देवी अंकुर मित्र अभिषेक पांडेय सहित अन्य लोगों ने कहा कि शिक्षकों को बिना टीकाकरण चुनाव में शोक देना उनके आश्रितों को आजीवन दर्द देता रहेगा। ऐसे में शासन को उनके आश्रितों के पालन पोषण, शिक्षा एवं उज्जवल भविष्य को संवारने के लिए शीघ्र अनुग्रह राशि देने पर विचार करना चाहिए।
सिद्धार्थनगर के बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बताया कि शिक्षक अश्वनी तिवारी की मौत के मामले में खेसरहा के खंड शिक्षा अधिकारी से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट के आधार पर अग्रिम कार्रवाई
की जाएगी।
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