Header Ads

फिर धीमी पड़ी भर्ती परीक्षाओं की जांच, साढ़े तीन साल के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी सीबीआई

 फिर धीमी पड़ी भर्ती परीक्षाओं की जांच, साढ़े तीन साल के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी सीबीआई

प्रयागराज उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की भर्ती परीक्षाओं की सीबीआई जांच फिर धीमी हो गई है। जांच शुरू हुए साढ़े तीन साल पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अभियोजन स्वीकृति का मामला भी पिछले साल से उत्तर प्रदेश शासन के गृह विभाग और कार्मिक विभाग में लंबित पड़ा है। तीन साल बाद भी जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है और प्रतियोगी छात्र अब सरकार और सीबीआई की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं।


प्रतियोगियों का कहना है कि उन्होंने भर्ती परीक्षाओं की जांच कर रही सीबीआई को भर्तियों में घोटाले से जुड़े तमाम साक्ष्य समय-समय पर उपलब्ध कराए हैं और हर स्तर पर जांच एजेंसी को सहयोग किया है धांधली के लिए जिम्मेदार लोगों को चिह्नित भी किया गया है, लेकिन सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की उदासीनता के कारण एक भी दोषी

के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हो सकी। अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती परीक्षा, समीक्षा अधिकारी / सहायक समीक्षा अधिकारी समेत दर्जनों भर्तियों में बड़े पैमाने पर अनियमितता पकड़ी गई। एपीएस-2010 समेत पांच बड़ी भर्तियों की प्रारंभिक रिपोर्ट दर्ज की गई।

सीबीआई ने भर्तियों में धांधली के लिए जिम्मेदार एक दर्जन अफसरों कर्मचारियों को चिह्नित करते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए प्रदेश सरकार को दिसंबर 2020 में पत्र भेजकर अभियोजन स्वीकृति मांगी, लेकिन इसके बाद जांच अचानक धीमी पड़ गई और सीबीआई का पत्र भी शासन में दबा दिया गया। अवनीश पांडेय ने एक बार फिर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि वह इस मामले में सीधे हस्तक्षेप करें।

कोई टिप्पणी नहीं