शिक्षक भर्ती की जांच शुरू, बढ़ी बेचैनी
शिक्षक भर्ती की जांच शुरू, बढ़ी बेचैनी:-
ज्ञानपुर। अनुदानित मदरसों में नियुक्ति की शासन स्तर से जांच शुरू होते ही अल्पसंख्यक विभाग के अफसरों की बेचैनी भी बढ़ गई है। जिले में भी दो साल से नियुक्ति में धांधली को लेकर आवाज उठ रही है। हालांकि जिला एवं मंडल स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। एसआईटी थाना लखनऊ में शनिवार को 21 प्रबंधकों के खिलाफ फर्जी नियुक्ति और भ्रष्टाचार को लेकर दर्ज हुए मुकदमे से अल्पसंख्यक विभाग में वर्षों से कुंडली मारकर बैठे वक्फ निरीक्षकों की मुश्किलें भी बढ़नी तय मानी जा रही है।
पांच बार मुख्यमंत्री मंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज करा चुके खमरिया नगर निवासी शाकिब अंसारी ने सवाल उठाया है कि खादी भंडार गली ज्ञानपुर में लगभग 30 वर्ष से कार्यरत विभाग अपनी कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा से सुर्खियों में रहा है। गत वर्ष मिर्जापुर में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आने पर शासन ने स्थानांतरित होकर आए विनोद कुमार जायसवाल को ही जिले का अतिरिक्त भार दे दिया। विभाग से कुल सात अनुदानित और 60 गैर अनुदानित मदरसों का संचालन कराया जाता है। यहां तक कि विभाग में तैनात वक्फ निरीक्षकों और प्रभारी अधिकारी गैर जिलों की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इसी का परिणाम है कि शिक्षक नियुक्तियों में पारिवारिक, रिश्तेदारी की मोह प्रबंध तंत्र नहीं छोड़ रहा है।
चिंता की बात यह है कि बेसिक शिक्षा विभाग में नियुक्ति हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को तरह-तरह की विडंबनाओं से गुजरना पड़ता है, लेकिन मदरसे में उसी पद पर कोई जांच प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता। इसका उदाहरण खमरिया नगर स्थित मदरसा हर एक लोगों की जुबान से नहीं भूल रहा है। दो सप्ताह पूर्व एसडीएम औराई एके मिश्रा की रिपोर्ट डीएम आर्यका अखौरी के कार्यालय में फाइलें धूल फांक रही है। विभागीय तालमेल से प्रबंधकों का सीधा जुड़ाव अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय में तैनात रजिस्टार तक है। शाकिब ने कहा कि वह मदरसा के खिलाफ नहीं है लेकिन भ्रष्टाचार पनपने नहीं देंगे। क्योंकि शिक्षक बनने वाले दिव्यांग, गरीब, मजदूर, किसान परि वार आवेदन करने से लेकर लिखित परीक्षा तक सैकड़ों रुपये बर्बाद करता है। परिणाम के समय प्रबंध तंत्र धन बल के आगे झुककर परिवार और रिश्तेदारवाद को वरीयता देकर जिम्मेदारी निभा लेता है।
जिला अल्पसंख्यक अधिकारी विनोद जायसवाल ने कहा कि मदरसों की नियुक्ति से जुड़े अभिलेख अभी नहीं मांगे गए हैं। एसआईटी की ओर से मांग होगी तो उसे उपलब्ध कराया जाएगा। नियुक्ति में जो भी गड़बड़ी किया होगा उस पर कार्रवाई होगी।
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