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PRAYAGRAJ : 27 शिक्षकों की बनी सूची, 14 के भेजे गए नाम, मुआवजा किसी को नहीं, भड़के शिक्षक नेता, खटखटाएंगे कोर्ट का दरवाजा

 PRAYAGRAJ : 27 शिक्षकों की बनी सूची, 14 के भेजे गए नाम, मुआवजा किसी को नहीं, भड़के शिक्षक नेता, खटखटाएंगे कोर्ट का दरवाजा

प्रयागराज : जिले में 27 शिक्षकों की पंचायत चुनाव के बाद कोरोना संक्रमण से मौत के साक्ष्य का प्रस्तुत करने और जिला समिति की ओर से 14 शिक्षकों की मौत की रिपोर्ट शासन को भेजे जाने के बाद भी एक भी शिक्षक के परिवार को सहायता राशि पाने के लायक नहीं समझा गया। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश भर में मात्र तीन शिक्षकों को सहायता पाने की श्रेणी में शामिल किए जाने के बाद शिक्षक संघ का गुस्सा भड़क उठा है। शिक्षक संघ का कहना है कि सरकार ने उनके साथ विश्वासघात किया है, वह सरकार के इस निर्णय के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा।

पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान जिले में परिषदीय विद्यालयों में काम करने वाले 38 शिक्षक, सात शिक्षामित्र एवं एक अनुदेशक की कोरोना संक्रमण के चलते मृत्यु हो गई। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव द्वारा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को इन मृत शिक्षकों के नामों की सूची सौंपी गई। सूची सौंपे जाने के बाद मृत शिक्षकों की कोरोना संक्रमित होने की रिपोर्ट मांगी गई। जिस पर संघ की ओर से 27 शिक्षकों की चुनाव के बाद कोरोना संक्रमित होने की रिपोर्ट बीएसए को सौंपी गई। बीएसए की ओर से इस रिपोर्ट को जिला समिति के सामने रखे जाने पर 14 शिक्षकों के नाम शासन के पास भेजे गए। लेकिन शासन ने सिर्फ तीन नामों को ही सरकारी सहायता के लिए उपयुक्त माना। सरकार के इस फैसले पर शिक्षक संघ ने कड़ी आपत्ति जताई है।


गैर शैक्षणिक कार्य में सहयोग नहीं करेंगे शिक्षक
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव का कहना है जब सरकार की गाइड लाइन के अनुसार कोरोना संक्रमण का असर तीन दिन में दिखाई पड़ता है तो चुनाव ड्यूटी के दौरान शिक्षकों की कोरोना से कैसे मौत हो जाएगी। उनका कहना है कि सरकार के बनाए नियम के अनुसार तो कोरोना से जान गंवाने वाले किसी भी शिक्षक का परिवार सहायता राशि पाने के लिए योग्य नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अब परिषदीय शिक्षक भविष्य में शैक्षणिक कार्य के अलावा सरकार के दूसरे काम में सहयोग नहीं करेंगे।


हक की लड़ाई में माध्यमिक शिक्षक भी देंगे साथ
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिला मंत्री एवं शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी के प्रतिनिधि अनुज कुमार पांडेय का कहना है कि बेसिक शिक्षकों के लिए जो मानक लागू किया गया है, उसके अनुसार किसी भी शिक्षक के परिवार को सहायता राशि मिलना कठिन है। उनका कहना है कि माध्यमिक शिक्षक बेसिक शिक्षकों के साथ पूरा सहयोग करेंगे। शिक्षक महासंघ के बैनर तले सरकार के इस निर्णय का विरोध किया जाएगा।


पंचायत चुनाव में जान गंवाने वाले कर्मचारियों को अनुकंपा राशि नहीं

पंचायत चुनाव में कोरोना महामारी से जान गंवाने वाले जिले के एक भी कर्मचारी को अनुकंपा राशि नहीं मिलेगी। इस बार के शासनादेश के अनुसार स्थानीय कमेटी ने स्क्रूटनी में एक भी आवेदन ऐसा नहीं पाया जो शासनादेश के अनुसार सभी शर्तों को पूरी करता हो। अनुंकपा राशि के लिए शासन से राय मांगी गई, लेकिन शासनादेश न होने के कारण राय बेमानी साबित हुई।


त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव इस बार कोरोना काल में हुआ। जिले के 74 कर्मचारियों ने चुनाव के बाद जान गंवाई थी। शासन ने सभी से जो पपत्र मांगे वो तो कोरोना वाले थे, लेकिन अनुकंपा की जो शर्त रखी वो सामान्य निर्वाचन वाली थी। शासनादेश के अनुसार घर से ड्यूटी पर जाते वक्त, ड्यूटी के दौरान या ड्यूटी से घर लौटते वक्त जिसकी जान गई होगी, उसे हीअनुकंपा राशि मिलेगी, लेकिन शेष को नहीं। इसके लिए शासन ने तीन प्रपत्र आवश्यक किए थे। जिसमें पहला ड्यूटी का आदेश, दूसरा कोरोना आरटीपीसीआर पॉजिटिव रिपोर्ट और तीसरा कोराना से मौत का प्रमाणपत्र।


जिले के 74 कर्मचारियों के परिजनों ने अनुकंपा राशि के लिए आवेदन किया था। जिसमें 42 ऐसे आवेदन थे, जिन्होंने सभी प्रमाणपत्र दिए थे। तमाम कर्मचारियों ने ड्यूटी की, उन्होंने हाथ में स्याही लगाई, पर्ची बांटी और संक्रमित हुए, लेकिन उनकी मौत कुछ दिनों बाद अस्पताल में हुई या घर में हुई। ऐसे में कोई भी आवेदन ऐसा नहीं पाया गया, जिसकी मौत मौके पर हुई हो। अब सभी का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।


मामले पर सीडीओ शिपू गिरि की अध्यक्षता वाली स्क्रीनिंग कमेटी, जिसमें डीपीआरओ रेनू श्रीवास्तव, एडीएम वित्त एवं राजस्व एमपी सिंह व बीएसए शामिल थे, ने सभी 42 आवेदनों को विचार के लिए शासन को भेजा। शासन को यह पूछा गया कि इन प्रस्तावों में जब सभी प्रमाणपत्र हैं तो इन्हें लिया जा सकता है या नहीं, जवाब आया नहीं। क्योंकि कर्मचारियों के परिजनों ने जो प्रमाणपत्र दिए थे उनके अनुसार मृत्यु का समय चुनाव ड्यूटी के दौरान नहीं था। ऐसे में सभी आवेदन रद्द हो गए।

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