PRIMARY KA MASTER:- ट्विटर पर झलकी शिक्षकों के कैशलेश इलाज की पीड़ा, एक लाख से अधिक ट्वीट से ट्रेंड हुआ #CashlessTreatment4UPTeachers
PRIMARY KA MASTER:- ट्विटर पर झलकी शिक्षकों के कैशलेश इलाज की पीड़ा, एक लाख से अधिक ट्वीट से ट्रेंड हुआ #CashlessTreatment4UPTeachers
ट्विटर पर झलकी शिक्षकों के कैशलेश इलाज की पीड़ा, एक लाख से अधिक ट्वीट से ट्रेंड हुआ #CashlessTreatment4UPTeachers
गतवर्ष कोरोना काल मे सर्विलांस ड्यूटी, राशन वितरण, स्कूल के कारण संक्रमण और गत पंचायत चुनावों में लगातार खो रहे अपने साथियों के साथ प्रशासनिक व्यवहार से व्यथित होकर शिक्षकों ने अपना दर्द ट्विटर पर व्यक्त करने की राह चुनी है।
आज के दौर में स्वास्थ्य सर्वाधिक आवश्यक किन्तु अत्यंत ही महंगी सुविधा है। जहाँ एक ओर सरकार द्वारा राज्य कर्मचारियों को निःशुल्क मेडिकल सुविधा/ चिकित्सा सुविधा प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की है, इसके साथ ही आम जन के लिए भी आयुष्मान स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से इलाज के लिए 5 लाख तक की व्यवस्था की गई है। शिक्षकों कोई सरकारी चिकित्सीय लाभ नही मिलते हैं, तो दूसरी तरफ वे सरकारी कार्मिक होने के कारण आयुष्मान से भी वंचित रखे गए हैं। शिक्षकों द्वारा पहले से भी कैशलेस चिकित्सा प्रतिपूर्ति की जा माँग की जाती रही है।
आज ट्विटर पर बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षको ने अपनी दास्तां कहने के लिए मुख्यमंत्री व बेसिक शिक्षा मंत्री को ट्विटर का ट्विटर हैंडल चुना और #CashlessTreatment4UPTeachers मुद्दा ट्रेन्ड करने लगा जिसपर लाखों की संख्या में प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई। इस महाअभियान में धीरे धीरे लाखो लोग जुड़ गए और ट्विटर पर शिक्षकों की पीड़ा झलक गयी।
कोविड संक्रमण के चलते हजारों शिक्षक अपने दायित्वों का निर्वाहन करते करते काल के गाल में समा गए कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी ने उन्हें असमय ही विदा कर दिया ।
ऐसे माहौल में जब शिक्षक कही बाहर निकल कर अपनी बात जिम्मेदार लोगों से नही कह सकता है तो उसने अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए ट्विटर के माध्यम से कैशलेश इलाज की माँग उठायी।
ये सुविधा राज्य सरकार द्वारा बहुत से विभागों के कर्मचारियों को दी जाती है । ऐसे में शिक्षको को न देकर सरकार शिक्षको के साथ अन्याय कर रही है। जबकि शिक्षको की ड्यूटी हर एक महत्वपूर्ण कार्य मे लगाई जाती है। ऐसे में शिक्षको को ये सुविधा क्यो नही दी जाती है।
स्वतः स्फूर्त शिक्षकों का यह मुद्दा सबसे कम समय मे सर्वाधिक ट्वीट के रूप में दिन भर छाया रहा और शिक्षकों के साथ साथ तमाम विशिष्ट लोगों, पत्रकारों ने भी इसका समर्थन किया ।
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