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अब नहीं चलेगी संगठन के नाम पर शिक्षकों की नेतागीरी, कसा शिकंजा

 अब नहीं चलेगी संगठन के नाम पर शिक्षकों की नेतागीरी, कसा शिकंजा

ललितपुर। अब संगठन के नाम पर शिक्षकों की नेतागीरी नहीं चलने वाली हैं। जिला प्रशासन ने बिना मान्यता के संचालित हो रहे संगठनों पर शिकंजा कस दिया है। बीएसए ने संगठनों के जिलाध्यक्ष/महामंत्री को पत्र लिखकर 13 जून की सायं 5 बजे तक रजिस्टर्ड डाक या स्वयं कार्यालय में शासन/बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा प्रदत्त मान्यता संबंधी समस्त मान्यता प्राप्त अभिलेखों को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। इससे विभिन्न संगठनों में खलबली मच गई है।


बीते दिनों राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष रविकांत ताम्रकार ने जिलाधिकारी को एक ज्ञापन दिया था। इसमें उन्होंने कई शिक्षकों पर शासनादेशों और मान्यता नियमावली का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। यही नहीं, अमान्य शिक्षक संगठनों पर विभागीय कार्यां में अनाधिकृत रूप से हस्तक्षेप करने, अराजकता करने एवं बार-बार अनशन, धरना और आंदोलन की चेतावनी देने का भी आरोप लगाया था। इन कारणों से बेसिक शिक्षा विमाग की छवि धूमिल हो रही है। इसे दृष्टिगत रखते हुये जिलाधिकारी अन्नावि दिनेश कुमार ने प्रचलित संगठनों के मान्यता संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इसके अनुपालन में बीएसए रामप्रवेश ने प्रचलित संगठनों के जिलाध्यक्ष/महामंत्री को 13 जून की शाम 05 बजे तक रजिस्टर्ड डाक या स्वयं कार्यालय में शासन/बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा प्रदत्त मान्यता संबंधी समस्त मान्यता प्राप्त अभिलेखों को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

कई नेता बनकर कार्यालय के लगाते रहते चक्कर
कई संगठनों के कुछ पदाधिकारी विभागीय कार्यालयों के चक्कर लगाते रहते हैं और स्कूल की गतिविधियों पर ध्यान नहीं देते हैं। विभागीय अफसर नेता होने की वजह से नजरअंदाज कर देते हैं।
कई गुट हो रहे संचालित
बेसिक शिक्षा विभाग के कई संगठनों में गुटबाजी चल रही है। इसके चलते शिक्षकों ने पृथक-पृथक गुट बनाकर गतिविधियां शुरू कर दी हैं। कई संगठनों के चुनाव भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया से नहीं हुए हैं। बीते वर्षों में भी इस तरह से संगठनों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने का प्रयास किया गया लेकिन विभागीय अफसर सफल नहीं हो पाए। इस बार ऐसा हो पाता है या नहीं। यह कहना जल्दबाजी होगी।

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