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बैक डेट से नियुक्ति दिखाकर शिक्षकों का वेतन एरियर दिलाने वाले 5 गिरफ्तार

 बैक डेट से नियुक्ति दिखाकर शिक्षकों का वेतन एरियर दिलाने वाले 5 गिरफ्तार

लखनऊ : यूपी एसटीएफ ने देवरिया में शिक्षा विभाग में चल रहे बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा किया हैं। बैक डेट से शिक्षकों की नियुक्ति दिखाकर वित्त एवं लेखाधिकारी की मदद से उनका वेतन व एरियर दिलाने वाले गैंग के पांच सदस्यों को यूपी एसटीएफ ने देवरिया से गिरफ्तार किया है। फर्जीवाड़े के खेल में शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की बड़ी भूमिका सामने आई है। ये अधिकारी और कर्मचारी इस फर्जीवाड़े के लिए शिक्षक से लाखों का कमिशन ले रहे थे। आरोपितों से पूछताछ में पता चला है कि देवरिया के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने भी बड़ी रकम घूस ली है।


एसटीएफ के मुताबिक गिरफ्तार सदस्यों में देवरिया के बरियारपुर का ओम प्रकाश मिश्रा, कोतवालो का मुन्ना यादव, राज कुमार मणि त्रिपाठी, संजय कुमार और गोरखपुर का अजीत उपाध्याय शामिल हैं। इनके पास से तमाम फर्जी दस्तावेज एमजी हेक्टर गाड़ी, देवरिया के बेसिक शिक्षा विभाग के वित्त एवं लेखाधिकारी को मुहर बरामद हुई है। सिद्धार्थनगर के जिला विद्यालय निरीक्षक अवधेश नारायण मौर्य ने इस फर्जीवाड़े के बारे में एसटीएफ को जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि अशासकीय सहायता प्राप्त पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में अनियमित एवं फर्जी रूप से नियुक्त कार्यरत शिक्षकों को वेतन दिया जा रहा है। एसटीएफ की जांच में सामने आया कि एक गिरोह है, जो सहायता प्राप्त विद्यालयों में स्थायी तौर पर शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए फर्जी अनुमोदन-पत्र व अन्य फर्जी दस्तावेज तैयार करता है। मामले में एसटीएफ की तरफ से विभिन्न विद्यालयों में शिक्षक पद पर फर्जी अनुमोदन पत्र के आधार पर नियुक्त शिक्षकों और वित्त एवं लेखाधिकारी, वैसिक, देवरिया सहित 17 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया गया। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने प्रति शिक्षक दो लाख लिए यह भी खुलासा हुआ है कि कृषक लघु माध्यमिक विद्यालय मदरसन देवरिया के सात शिक्षकों को बचाने के लिए बीएसए कार्यालय के बाबू जयशंकर श्रीवास्तव के जरिए वर्तमान बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्रति शिक्षक दो-दो लाख रुपये दिए गए हैं। अब तक की जांच से 19 शिक्षकों का फर्जी तरीके से अनुमोदन पत्र तैयार कराकर नियुक्ति करवाए जाने का पता चला है। एसटीएफ मामले की और कड़ियां जोड़ रही है।


ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह लोग
सहायता प्राप्त विद्यालयों में स्थायी तौर पर नियुक्ति के लिए संबंधित अधिकारी के हस्ताक्षर स्कैन करके फर्जी तरीके से शिक्षक के पद का अनुमोदन पत्र और अन्य आवश्यक दस्तावेज भी तैयार करते हैं। यह लोग बैक डेट से नियुक्ति दिखाकर एरियर का भी भुगतान करा देते हैं। पूरे गठजोड़ में देवरिया के वित्त एवं लेखाधिकारी, बेसिक जगदीश लाल श्रीवास्तव भी शामिल है। वह आरोपितो के साथ रहकर फर्जी अनुमोदन-पत्र तैयार करवाता है। अजित उपाध्याय ने इसी तरह से फर्जी अनुमोदन पत्र तैयार कराकर भाई दिलीप को शिक्षक के पद पर नियुक्त करवाया। पेशे से ठेकेदार राजकुमार मणि, जगदीश के साथ रहता है उसने भी पत्नी कुमारी रजना को सहायक अध्यापक के पद पर सहदेव बालिका, पूर्व माध्यमिक विद्यालय, बाबू, बभनी, देवरिया में नियुक्त करवाया है।

वित्त एवं लेखाधिकारी को दिए ₹40 लाख

आरोपित ओमप्रकाश मिश्र शिक्षक है, जो वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय में अटैच है। ओमप्रकाश ने अपनी रिश्तेदार श्वेता मिश्रा को भी फर्जी अनुमोदन पत्र के आधार पर शिक्षक पद पर नियुक्त करवाया है। श्वेता की बैक डेट से नियुक्ति के बाद एरियर में मिली पैसे और अन्य रकम मिलाकर करीब ₹40 लाख राजकुमार मणि एवं वित्त एवं लेखाधिकारी, जगदीश लाल श्रीवास्तव को दिए गए अभियुक्त जनार्दन उपाध्याय पूर्व में वित्त एव लेखाधिकारी के कार्यकाल में क्लर्क के पद पर था, जो इस समय रिटायर्ड है, लेकिन यह भी फर्जी दस्तावेज बनाने में शामिल है। संजय कुमार बीएसए कार्यालय देवरिया में चपरासी है, जो डिस्पैच रजिस्टर में हेरफेर, रजिस्टर के पेज फाड़ना और अन्य फर्जीवाड़ा करता है। अभियुक्त मुन्ना यादव के घर से एक ही विद्यालय के एक ही शिक्षक के एक से अधिक विभिन्न पत्रांक पर फर्जी अनुमोदन पत्र बरामद हुआ है। इसमें कुमारी रंजना, श्वेता मिश्रा एवं मुन्ना के बेटे विनय कुमार सहित आठ शिक्षकों का अनुमोदन था जगदीश लाल श्रीवास्तव बिना किसी सत्यापन के स्वयं फर्जी अनुमोदन पत्र तैयार कराने में सहयोग कर वेतन एवं एरियर जारी कर देता है। इसके एवज में प्रति अभ्यर्थी के हिसाब से पैसा लेता है।

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