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चार माह बाद भी बच्चों हाथों में किताबें नहीं, कैसे करें पढ़ाई:- परिषदीय विद्यालयों का हाल

 चार माह बाद भी बच्चों हाथों में किताबें नहीं, कैसे करें पढ़ाई:- परिषदीय विद्यालयों का हाल

लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद का नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुए चार महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी तक बच्चों के हाथों में किताबें नहीं आई हैं। यह स्थिति तब है जब शासन ने हर हाल में जुलाई में बच्चों को किताबें उपलब्ध कराने का दावा किया था। कोरोना काल में परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई ज्यादा काम नहीं आ रही। बच्चे स्कूल जाकर शिक्षकों से पूछते हैं कि हमारी किताबें कब मिलेंगी। शिक्षक जितना हो सके बच्चों से पुरानी किताबें लेकर पिछली कक्षा के बच्चों को असाइनमेंट दे रहे हैं।


बेसिक शिक्षा परिषद के बच्चों को विभाग की तरफ से निशुल्क किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं। नया सत्र अप्रैल में शुरू हो गया था, चार महीने होने आए अभी तक विभाग बच्चों को किताबें उपलब्ध नहीं करा पाया है। जिले में करीब डेढ़ लाख से ज्यादा बच्चे परिषदीय विद्यालयों में पंजीकृत हैं। कोरोना काल में ऑनलाइन के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है। मिशन प्रेरणा के तहत ई- पाठशाला संचालित कर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इसके माध्यम से बच्चों को ई-कंटेंट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। दूरदर्शन पर कक्षाएं प्रसारित की जाती हैं। दीक्षा एप के माध्यम से भी ऑडियो-वीडियो ई-कंटेंट उपलब्ध कराए जा रहे हैं, लेकिन परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के पास ऐसे संसाधन नहीं हैं जिसके माध्यम से वे ई-पाठशाला का लाभ उठा सकें। एक अनुमान के मुताबिक केवल तीन प्रतिशत छात्र ही ऑनलाइन माध्यम से जुड़े हैं। बाकी सभी बच्चे ऑनलाइन पाठशाला से दूर हैं। ऐसे में बच्चों को किताबों की बेहद जरूरत महसूस की जा रही है।


किताब के लिए स्कूल आते हैं बच्चे

शिक्षकों ने बताया कि नई किताबों की चाह लेकर बच्चे विद्यालय में चले आते हैं। आसपास के बच्चे ही परिषदीय विद्यालयों में पढ़ते हैं। वे अक्सर विद्यालय में पहुंचकर शिक्षकों से सवाल करते हैं कि हमारी किताबें कब मिलेंगी। शिक्षकों ने बताया कि अपने स्तर से काफी बच्चों को पुरानी किताबें उपलब्ध कराई गई हैं। अभिभावकों को बुलाकर अगली कक्षा में गए बच्चों की पुरानी किताबें उपलब्ध कराई गई। अभिभावकों को बुलाकर असाइनमेंट और वर्कशीट दी जाती है। लेकिन अभिभावक भी पूछते हैं कि नई किताबें कब मिलेंगी ताकि बच्चे किताबों से पढ़ना शुरू कर सकें। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन उप्र के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि नया सत्र शुरू हुए चार महीने का समय हो चुका है और बच्चे ई-पाठशाला और ऑनलाइन के माध्यम से पढ़ाई करने को बाध्य हैं। अभी तक पाठ्य पुस्तकें ब्लॉक संसाधन केंद्र तक नहीं पहुंची हैं। पहले यहां आएंगी फिर विद्यालय पहुंचेंगी और बाद में अभिभावकों को वितरित की जाएगी।


40 प्रतिशत किताबें आ चुकी हैं। शनिवार को पदभार ग्रहण करने के बाद सत्यापन के लिए। समन्वयकों को निर्देश देते हुए कमेटी का भी गठन कर लिया है। इस हफ्ते किताबों का सत्यापन कर लिया जाएगा और वितरण के लिए भेजना शुरू कर देंगे।

- विजय प्रताप सिंह, बेसिक शिक्षा

अधिकारी, लखनऊ

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