बेसिक शिक्षा विभाग में तीन साल तक डिस्पैच रजिस्टर चोरी होने की एसटीएफ को नहीं लगी भनक
बेसिक शिक्षा विभाग में तीन साल तक डिस्पैच रजिस्टर चोरी होने की एसटीएफ को नहीं लगी भनक
बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षकों की जांच में डिस्पैच रजिस्ट्रर चोरी होने के बारे में तीन वर्षो तक एसटीएफ को भनक नहीं लगी। ऐसे में अब बीएसए कार्यालय के कर्मचारियों के साथ ही एसटीफएफ की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में आने लगी है।
देवरिया : बेसिक शिक्षा विभाग में तीन साल तक डिस्पैच रजिस्टर चोरी होने की एसटीएफ को नहीं लगी भनक
प्रदेश में पिछले दो दशक के दौरान कुछ परिषदीय और एडेड विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती में जमकर फर्जीवाड़ा हुआ था। प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में पकड़े गए फर्जी शिक्षकों ने राज खोले तो मंडल के अन्य जिलो तक जांच की आंच पहुंची। सिद्धार्थनगर जिले में पकड़े गए दलालों के तार देवरिया से जुड़े हुए थे। सिद्धार्थनगर की जांच पर प्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश में शिक्षकों की नियुक्ति की जांच एसटीएफ को सौंप दी। जिले में भी तीन साल से मामले की जांच एसटीएफ गोरखपुर कर रही है।
फर्जी मिले 53 शिक्षकों में से कुछ पर जिले के अलग-अलग थानों में मुकदमा दर्ज कराया था। इस पर विभाग ने सभी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया था। गोरखपुर एसटीएफ की टीम पिछले तीन वर्षो में सैकड़ो बार बेसिक शिक्षा कार्यालय आ चुकी है। एसटीएफ बीएसए कार्यालय से जरूरी कागजात मांगती रहती है, लेकिन इतने दिनों में डिस्पैच रजिस्टर चोरी होने की बात एसटीएफ को पता नहीं चल सकी। 10 जुलाई को एटीएफ ने ही कृषक लघु माध्यमिक विद्यालय मदरसन में फर्जी शिक्षकों के खिलाफ केस दर्ज कराया।
इस मामले में एसटीएफ ने तीन शिक्षक समेत पांच लोगों को गिरफ्तार कर कोतवाली पुलिस को सौंपा था। एडीजी गोरखपुर अखिल कुमार के निर्देश पर एसपी डॉ. श्रीपति मिश्र ने अनुदानित स्कूलों में नियुक्ति की जांच के लिए सीओ सिटी श्रीयस त्रिपाठी के नेतृत्व में एसआईटी गठित किया। 15 सदस्यों की एसआईटी ने जांच आगे बढ़ाया और पूर्व बीएसए के अनुमोदन पत्र के डिस्पैच रजिस्टर की मांग किया।
एसआईटी के मांगने पर विभाग ने डिस्पैच रजिस्टर को खोजना शुरु किया। जिसमें एक अप्रैल 1984 से पहले, एक अप्रैल 1987 से 13 मार्च 1989 और वर्ष 2011-12 का डिस्पैच चोरी होने की जानकारी मिली। आनन-फानन में बीएसए कार्यालय की ओर से वरिष्ठ खंड शिक्षाधिकारी ने सदर कोतवाली में चोरी का मुकदमा दर्ज कराया। इस दौरान तमाम बीएसए आए और चले गए, लेकिन किसी को इसकी जानकारी नहीं हुई। 10 साल बाद केस दर्ज कराना उनकी कार्यप्रणाली पर भी सवाल है। अब सवाल यह उठ रहा है कि एसटीएफ को भी इस बात की भनक आखिर कैसे नहीं लगी। शिक्षा विभाग पर लोग तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं। चर्चा तो यह भी है कि मामला अब लीपापोती की ओर बढ़ रहा है।
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