परिषदीय बच्चों को यूनिफॉर्म देने के तरीके पर अब भी विचार कर रही योगी सरकार, अभिभावकों के खाते में धन देने पर कैबिनेट मंजूरी का इंतजार
परिषदीय बच्चों को यूनिफॉर्म देने के तरीके पर अब भी विचार कर रही योगी सरकार, अभिभावकों के खाते में धन देने पर कैबिनेट मंजूरी का इंतजार
शैक्षिक सत्र शुरू हुए तीन महीने हो गए हैं लेकिन राज्य सरकार अभी तक तय नहीं कर पाई है कि यूनिफार्म देनी है या उसका पैसा अभिभावकों के खाते में देना है। सरकारी व सहायताप्राप्त स्कूलों में सरकार दो जोड़ा यूनिफार्म, दो जोड़ी मोजा, एक जोड़ी जूता, स्वेटर व स्कूल बैग देती है लेकिन अभिभावकों के खाते में सीधे धनराशि देने संबंधी प्रस्ताव अभी तक कैबिनेट की मंजूरी के लिए अटका हुआ है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने 1200 रुपये सीधे खाते में देने का प्रस्ताव भेजा है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार सरकारी व सहायताप्राप्त स्कूलों के 1.80 करोड़ बच्चों को नि:शुल्क यूनिफार्म देती है। वहीं मोजा-जूता, स्वेटर व स्कूल बैग का खर्च राज्य सरकार अपने बजट से वहन करती है। नि:शुल्क दी जाने वाली किताबें छपने जा चुकी है।
अभी तक विभाग खुद करता था खरीद
अभी तक यूनिफार्म के लिए विद्यालय प्रबंध समितियों को पैसा दिया जाता था जिससे वे बच्चे की नाप की यूनिफार्म कपड़ा खरीद कर सिलवाते थे। वहीं जूता-मोजा, स्वेटर, स्कूल बैग आदि जेम पोर्टल से खरीदा जाता था।
क्यों हो रहा है मंथन
दरअसल यूनिफार्म हो या फिर जूता, गुणवत्ता को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। बिना नाप की यूनिफार्म, कम गुणवत्ता वाला कपड़ा और एक धुलाई में रंग निकलने जैसी शिकायतें आम हैं। वहीं जूता हो या फिर स्कूल बैग, इनके दो से तीन महीने में फटने की शिकायतें भी खूब आती हैं। वहीं शिक्षक आधे से ज्यादा समय इनको बनवाने, ब्लॉक संसाधन केन्द्रों से स्कूल लेकर आने और बांटने में लगा रहता है। इससे पढ़ाई लिखाई पर सीधा असर पड़ता है।
सरकार का मानना है कि यदि अभिभावक को इसके पैसे दिए जाएंगे तो वह बाजार से उच्च गुणवत्ता का सामान खरीदेगा। भले ही निर्णय अभी नहीं हुआ हो लेकिन अभिभावकों के खाते का सत्यापन शुरू हो चुका है। विभाग ने खाते में पैसा डालने की तैयारी शुरू कर दी है और प्रशिक्षणों का एक दौर हो चुका है।
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