बच्चों के लिए भी आई वैक्सीन, 12 से 18 वर्ष आयु के बच्चों और किशोरों को लगाई जाएगी
बच्चों के लिए भी आई वैक्सीन, 12 से 18 वर्ष आयु के बच्चों और किशोरों को लगाई जाएगी
देश को बच्चों के लिए पहली कोरोना रोधी वैक्सीन मिल गई है। भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) ने जायडस कैडिला की तीन डोज वाली कोरोना रोधी जायकोव-डी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। यह 12 साल के बच्चों से लेकर बड़ों को भी लगाई जाएगी।
सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने शुक्रवार को कहा कि इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के साथ ही यह पहली वैक्सीन होगी जो 12-18 वर्ष आयु के बच्चों एवं किशोरों को लगाई जाएगी। देश में अभी तक जो वैक्सीन लगाई जा रही है वह 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए है। इसके अलावा ये सभी दो डोज वाली वैक्सीन हैं, जबकि जायकोव-डी तीन डोज की।
डीबीटी ने बताया कि यह दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन है। अभी तक जितनी भी वैक्सीन हैं वह एम-आरएनए आधारित हैं। हालांकि, दोनों ही वैक्सीन एक ही काम करतीं, बस इनके काम करने का तरीका अलग है। प्लाज्मिड डीएनए-आधारित जाइकोव-डी सार्स-सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन करती है और मजबूत प्रतिरक्षा प्रदान करती है। इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी यानी ईयूए हासिल करने वाली यह देश की छठी वैक्सीन है। इससे पहले कोविशील्ड, कोवैक्सीन, स्पुतनिक-वी, माडर्ना और जानसन एंड जानसन की वैक्सीन को मंजूरी दी जा चुकी है। लेकिन इनमें से अभी कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक-वी का ही इस्तेमाल किया जा रहा जा रहा है। जायडस कैडिला ने एक बयान में कहा है कि उसकी हर साल इस वैक्सीन की 10-12 करोड़ डोज का उत्पादन करने की योजना है।
’>>डीएनए आधारित है वैक्सीन फार्माजेट के जरिये दी जाएगी
’>>12 से 18 वर्ष आयु के बच्चों और किशोरों को लगाई जाएगी
भारत कोरोना से लड़ाई पूरी बहादुरी से लड़ रहा है। दुनिया की पहली डीएनए आधारित जायडस कैडिला की वैक्सीन भारतीय विज्ञानियों के इनोवेटिव उत्साह को दर्शाती है। वास्तव में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
बिना सुई के लगाई जाएगी
जायकोव-डी को लेना भी आसान होगा और इसमें दर्द भी नहीं होगा। इसको लगाने के लिए नुकीली सुई का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, बल्कि इसे फार्माजेट तकनीक से लगाया जाएगा। इस तकनीक में बिना सुई वाले इंजेक्शन में दवा भरी जाती है और फिर उसे एक मशीन में लगाकर बांह में दिया जाता है।
28,000 से अधिक वालंटियर पर किया गया ट्रायल
इस वैक्सीन के तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल 28 हजार से ज्यादा वालंटियर पर किया गया था। इसमें यह 66.6 फीसद प्रभावी पाई गई है। वैक्सीन के लिए देश में यह सबसे बड़ा ट्रायल था। पहले और दूसरे चरण के परीक्षण में इसे सुरक्षित और कारगर पाया गया था।
देश के हर तीसरे व्यक्ति को लग चुका एक टीका 11
राज्य ब्यूरो, लखनऊ: कोरोना संक्रमण पर काफी हद तक काबू पा लेने के बाद राज्य सरकार ने अब बाजारों को पूरी तरह अनलाक करने का फैसला करते हुए रविवार की अनिवार्य बंदी भी खत्म कर दी है। यह बंदी 22 अगस्त को पड़ने वाले रविवार से समाप्त की गई है। बाजार में अब पहले की तरह साप्ताहिक बंदी लागू होगी। वहीं, रात्रिकालीन कफ्यरू रात 10 से सुबह छह बजे तक लागू रहेगा।
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