सरकारी स्कूल के 378 भवन जर्जर, नौनिहालों की जान खतरे में, तीन साल में ध्वस्त नहीं हो सके जर्जर भवन,
सरकारी स्कूल के 378 भवन जर्जर, नौनिहालों की जान खतरे में, तीन साल में ध्वस्त नहीं हो सके जर्जर भवन
भदोही
ज्ञानपुर :-प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने और बच्चों को बेहतर सुविधा देने के लिए मिशन कायाकल्प के तहत स्कूलों का कायाकल्प बदला जा रहा है, लेकिन निष्प्रयोज्य और जर्जर भवन नौनिहालों के लिए खतरा बने हैं।
जिला समन्वयक निर्माण शिवम सिंह ने बताया कि शिक्षा विभाग के नए सर्वे में 177 और भवन जर्जर घोषित हो चुके हैं। तीन साल में 378 भवन निष्प्रयोज्य हो चुके हैं, लेकिन अब तक उन भवनों को ध्वस्त नहीं किया गया। करीब 50 से अधिक भवन कब धराशायी हो जाएंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता। शिक्षकों से लेकर अभिभावकों तक को बच्चों की सुरक्षा का भय सताता रहता है। इसके बाद भी प्रबंध समितियां अनभिज्ञ बनी हैं।
जिले में 892 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और कंपोजिट विद्यालय संचालित हैं। इसमें एक लाख 43 हजार पहली से आठवीं तक के बच्चे पंजीकृत हैं। मिशन कायाकल्प के तहत अब तक लगभग 300 स्कूलों की तस्वीर बदली जा रही है। उक्त स्कूलों में तमाम सुविधाएं कान्वेंट से बेहतर हो रही, लेकिन 150 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के 378 भवन जर्जर घोषित हो चुके हैं। जिसमें 177 भवन अप्रैल 2021 में जर्जर घोषित हुए। इनकी छतें, दीवारें, फर्श, खिड़की, दरवाजे सब कुछ जर्जर हो गए हैं।
कोरोना के कारण स्कूल भले ही बंद चल रहे हैं, लेकिन आने वाले समय में जब भी स्कूल खुलेंगे तो नौनिहालों की परेशानी बढ़ेगी। बारिश के दौरान इन भवनों की छतों से पानी टपकता है। इसकी बानगी डीघ के पूर्व माध्यमिक विद्यालय विछियां में देखी जा सकती है। इसी तरह औराई, चौरी का लठियां, सुरियावां, अभोली और भदोही के कई विद्यालयों में बारिश के मौसम में कक्षाएं संचालित करना मुश्किल हो जाता है। विद्यार्थी ही नहीं, शिक्षक भी इस आशंका से परेशान रहते हैं कि कहीं भवन ढह गया तो बड़ा हादसा हो सकता है।
सीन 1
औराई ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय तुलसीपुर का भवन जर्जर हो चुका है। छत व दीवारों में दरारें आ चुकी है। इससे बच्चों के लिए हमेशा खतरा बना रहता है। इसे गिराने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
सीन 2
भदोही ब्लॉक क्षेत्र के अनेगपुर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय का जर्जर भवन नौनिहालों के लिए खतरा बना हुआ है। इससे शिक्षक से लेकर अभिभावक तक बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं।
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