शिक्षामित्रों को स्थायीकरण से कम कुछ भी स्वीकार नहीं: वीरेन्द्र ठोंकर
शिक्षामित्रों को स्थायीकरण से कम कुछ भी स्वीकार नहीं: वीरेन्द्र ठोंकर
आगरा स्थाईकरण की माँग को लेकर सरकार को वादा याद दिलाने के लिए वादा निभाओ शिक्षामित्र बचाओ अभियान के तहत नए सत्र की शुरुआत से ही विद्यालयों में उपस्थित होते हुए काली पट्टी बांधकर संस्कार का ध्यान आकर्षित करने के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपने से लेकर ट्वीटर अभियान के माध्यम से समय, समय पर अपनी पीड़ा से अवगत करा चुके हैं लेकिन सरकार पूरी तरह से संवेदनहीन बनी हुई है इसलिए शिक्षामित्रों का सब का बांध
अब टूटता ही जा रहा है अभी हाल ही में कुछ दिन पहले सरकार की तरफ से शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ोत्तरी को लेकर समाचार पत्रों में एक
बयान आया था। जिस पर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह छौंकर का कहना है कि अब शिक्षामित्रों को मानदेय वृद्धि नहीं समस्या का स्थाई समाधान चाहिए। हमारी सरकार से एक हो माँग है 2017 के चुनाव के समय अपने संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों से जो वादा किया था उसे पूरा करे और नियमावली में संशोधन करके उत्तराखंड की भाँति स्थाईकरण करते हुए शिक्षामित्रों के भविष्य को सुरक्षित एवं संरक्षित कर अपना वादा निभाये । हमें स्थायीकरण से कम कुछ भी स्वीकार से नहीं है। शिक्षामित्र अब और अधिक इंतज़ार नहीं कर सकते हैं सरकार हमें मजबूर न करे यदि समय रहते हमारी समस्या का समाधान नहीं किया जाता है। तो आगामी विधानसभा चुनाव से पहले शिक्षामित्र भी अपना निर्णय लेने को बाध्य होंगे 1 अप्रैल से काली पट्टी बांधकर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन 1 जुलाई से पुनः विद्यालय खुलने पर आज सेतीसवें दिन भी निरंतर जारी रहा।
बयान आया था। जिस पर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह छौंकर का कहना है कि अब शिक्षामित्रों को मानदेय वृद्धि नहीं समस्या का स्थाई समाधान चाहिए। हमारी सरकार से एक हो माँग है 2017 के चुनाव के समय अपने संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों से जो वादा किया था उसे पूरा करे और नियमावली में संशोधन करके उत्तराखंड की भाँति स्थाईकरण करते हुए शिक्षामित्रों के भविष्य को सुरक्षित एवं संरक्षित कर अपना वादा निभाये । हमें स्थायीकरण से कम कुछ भी स्वीकार से नहीं है। शिक्षामित्र अब और अधिक इंतज़ार नहीं कर सकते हैं सरकार हमें मजबूर न करे यदि समय रहते हमारी समस्या का समाधान नहीं किया जाता है। तो आगामी विधानसभा चुनाव से पहले शिक्षामित्र भी अपना निर्णय लेने को बाध्य होंगे 1 अप्रैल से काली पट्टी बांधकर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन 1 जुलाई से पुनः विद्यालय खुलने पर आज सेतीसवें दिन भी निरंतर जारी रहा।
Post a Comment