निरस्त हो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भर्ती, ईडब्ल्यूएस आरक्षण दिए बगैर आंगनबाडी कार्यकर्ताओं की भर्ती
निरस्त हो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भर्ती, ईडब्ल्यूएस आरक्षण दिए बगैर आंगनबाडी कार्यकर्ताओं की भर्ती
लखनऊ। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में 53 हजार रिक्त पदों पर चल रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी को 10 प्रतिशत का आरक्षण दिए बगैर यह भर्ती हो रही है। जबकि 103वें संविधान संशोधन में सभी श्रेणी की भर्तियों में यह आरक्षण देने का प्रावधान है। प्रदेश सरकार कैबिनेट के माध्यम से इसे मंजूरी भी दे चुकी है।
इस भर्ती के लिए विभाग द्वारा जारी आदेश में अनुसूचित जाति/जनजाति व पिछड़ी जाति के लिए आरक्षण का प्रावधान तो किया गया है, लेकिन सामान्य वर्ग के ईडब्ल्यूएस के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। विभाग द्वारा भर्ती के लिए जारी शासनादेश व आवेदन पत्र के प्रारूप में भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण की व्यवस्था का कोई उल्लेख नहीं है। अधिकारियों की इस अनदेखी की वजह से सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर करीब 5300 अभ्यर्थियों का हक मारा जा रहा है।
सभी डीएम को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि वे नियम के हैं। अनुसार भर्ती करें। फिर भी यदि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के आरक्षण का प्रावधान आदेश में नहीं है तो उसका परीक्षण कराया जाएगा। वी हेकाली झिमोमी, प्रमुख - सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार
लखनऊ । ईडब्ल्यूएस कोटे का आरक्षण दिए बगैर प्रदेश में चल रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती प्रक्रिया पर उप्र महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष गिरीश कुमार पांडेय ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने भर्ती को रद्द करने की मांग की है।
संघ ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि इस भर्ती के संबंध में जारी शासनादेश में सपा सरकार द्वारा जारी प्रावधान को लागू कर दिया गया है। यही नहीं आईसीडीएस में चयन समिति बनाने में भी केंद्र के दिशा-निर्देश की अनदेखी की गई है। साथ ही ब्लॉक स्तर की जिम्मेदार चयन समिति के स्थान पर जिला स्तरीय गैर जिम्मेदार चयन समिति बना दी गई है।
अवहेलना पर तीन माह की सजा का प्रावधान : प्रदेश सरकार द्वारा जारी गजट की अधिसूचना की धारा 5 (1) में यह भी प्रावधान किया गया है कि राज्याधीन किसी भी पद पर की जाने वाली नियुक्ति में यदि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण न देने या रुकावट डालने पर संबंधित नियुक्ति प्राधिकारी या जिम्मेदार को न्यूनतम तीन माह का कारावास व अर्थदंड या दोनों दिए जाने का प्रावधान है। ब्यूरो
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