लापरवाही: गलती किसी की, सजा में रुका किसी और का वेतनमान, 68500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का मामला
लापरवाही: गलती किसी की, सजा में रुका किसी और का वेतनमान, 68500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का मामला
प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद की वर्ष 2018 की 68500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में एक शिक्षिका की गलती की कीमत अंग्रेजी के प्रवक्ता कामता प्रसाद सरोज चुका रहे हैं। इसकी जांच उप शिक्षा निदेशक माध्यमिक प्रयागराज मंडल के स्तर से पूरी ही नहीं हो पा रही है।
उधर, शिक्षा निदेशालय की लिपिकीय त्रुटि से एक अभ्यर्थी अन्नपूर्णा तिवारी के वास्तविक अंक कम किए जाने के आरोप में उन्हें एक और आरोपपत्र थमा दिया गया। वह निदेशालय के आरोप से तो मुक्त हो गए, लेकिन उप शिक्षा निदेशक के स्तर से अटकी जांच उनके चयन वेतनमान मिलने की राह में समस्या बन गई है। कामता प्रसाद ने सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया था। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से उन्हें अभ्यर्थी राजू की उत्तर पुस्तिका में 46 के स्थान पर 72 अंक दिए जाने के आरोप में आरोपपत्र दिया गया। जांच उप शिक्षा निदेशक को सौंपी गई। वह जांच अधिकारी को लिखित स्पष्टीकरण दे चुके हैं कि राजू की उत्तरपुस्तिका एक महिला प्रवक्ता ने जांची थी, जिन्होंने वास्तविक अंक 46 के स्थान अपनी परीक्षक संख्या का कोड 72 अंकित कर दिया। इसका वह परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में स्पष्टीकरण दे चुके हैं। इसके अलावा उन्हें शिक्षा निदेशालय से मिले आरोपपत्र में मनोविज्ञान के प्रवक्ता की त्रुटि के लिए भी आरोपित बना दिया गया। जांच के दायरे में होने के कारण उन्हें 2020 में मिलने वाला चयन वेतनमान नहीं मिल सका। निदेशालय के आरोप पत्र पर जांच में मिली लिपिकीय त्रुटि को सुधारकर उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया। उन्होंने अब उप शिक्षा निदेशक से आरोप सिद्ध न होने का स्पष्टीकरण देकर आरोप मुक्त किए जाने की मांग की है, ताकि रुके वेतनमान का लाभ पा सकें। इसके अलावा चयन और प्रोन्नत वेतनमान में कई और अटके हैं।
उधर, शिक्षा निदेशालय की लिपिकीय त्रुटि से एक अभ्यर्थी अन्नपूर्णा तिवारी के वास्तविक अंक कम किए जाने के आरोप में उन्हें एक और आरोपपत्र थमा दिया गया। वह निदेशालय के आरोप से तो मुक्त हो गए, लेकिन उप शिक्षा निदेशक के स्तर से अटकी जांच उनके चयन वेतनमान मिलने की राह में समस्या बन गई है। कामता प्रसाद ने सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया था। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से उन्हें अभ्यर्थी राजू की उत्तर पुस्तिका में 46 के स्थान पर 72 अंक दिए जाने के आरोप में आरोपपत्र दिया गया। जांच उप शिक्षा निदेशक को सौंपी गई। वह जांच अधिकारी को लिखित स्पष्टीकरण दे चुके हैं कि राजू की उत्तरपुस्तिका एक महिला प्रवक्ता ने जांची थी, जिन्होंने वास्तविक अंक 46 के स्थान अपनी परीक्षक संख्या का कोड 72 अंकित कर दिया। इसका वह परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में स्पष्टीकरण दे चुके हैं। इसके अलावा उन्हें शिक्षा निदेशालय से मिले आरोपपत्र में मनोविज्ञान के प्रवक्ता की त्रुटि के लिए भी आरोपित बना दिया गया। जांच के दायरे में होने के कारण उन्हें 2020 में मिलने वाला चयन वेतनमान नहीं मिल सका। निदेशालय के आरोप पत्र पर जांच में मिली लिपिकीय त्रुटि को सुधारकर उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया। उन्होंने अब उप शिक्षा निदेशक से आरोप सिद्ध न होने का स्पष्टीकरण देकर आरोप मुक्त किए जाने की मांग की है, ताकि रुके वेतनमान का लाभ पा सकें। इसके अलावा चयन और प्रोन्नत वेतनमान में कई और अटके हैं।
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