बिना स्कूल गए अवार्ड को नाम भेजा, बिना पड़ताल के आगे बढ़ा दी पत्रावली
बिना स्कूल गए अवार्ड को नाम भेजा, बिना पड़ताल के आगे बढ़ा दी पत्रावली
शाहजहांपुर
बिना स्कूल गए शिक्षक को ही बीएसए कार्यालय से राज्यपाल पुरस्कार का हकदार बना दिया। ऑनलाइन आवेदन के बाद प्रपत्रों की जांच के बिना ही पत्रावली को आगे भेज दिया गया। डायट से संबद्ध रहे शिक्षक को राज्यपाल पुरस्कार का हकदार बनाए जाने पर शिक्षा निदेशक तक शिकायत पहुंचने पर हड़कंप मच गया। विभाग ने अपनी कमी छिपाने के लिए दो सदस्यीय कमेटी का गठन कर जांच शुरू करा दी।
वर्तमान में ददरौल ब्लाक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय निजामपुर गौटिया के सहायक अध्यापक डा.अरूण गुप्ता ने राज्यपाल पुरस्कार के लिए आवेदन किया था। वर्ष 2020-21 में राज्यपाल पुरस्कार के लिए अरूण के आवेदन करने पर भावलखेड़ा के प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक दिनेश चंद्र सक्सेना ने शिक्षा निदेशक से पत्राचार कर पेंच फंसा दिया। दिनेश ने शिक्षा निदेशक से शिकायत कर कहा कि डा.अरूण गुप्ता 2015-16 से 2019-20 तक विद्यालय स्तर पर शिक्षण योगदान क्या है। आरोप है कि अरूण पिछले 15 वर्षों से डायट से संबद्ध प्रशिक्षक रहे हैं। उन्होंने पत्र के जरिए सवाल किया कि गत वर्षों में विद्यालय के भौतिक, सामाजिक व सामुदायिक परिवेश से कितना जुड़ाव रहा है।
नवीन नामांकन व ड्राप आउट रोकने के लिए प्रयास और आपरेशन कायाकल्प में योगदान के बारे में क्या योगदान रहा। शिक्षा निदेशक तक शिकायत पहुंचने के बाद बीएसए ने पूरे मामले को संज्ञान लिया। बीएसए ने बीईओ भावलखेड़ा ईश्वरकांत पांडेय और बीईओ सिंधौली केडी यादव को जांच के लिए नामित किया है। इस बारे में बीएसए से फोन पर संपर्क साधा तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।
बीएसए ने नहीं की कार्रवाई, तब शिक्षा निदेशक से शिकायत की
पीड़ित दिनेश सक्सेना ने बताया कि जो इंसान लगातार डायट में संबद्ध रहा हो, वह पांच साल का अनुभव दिखाकर कैसे राज्यपाल पुरस्कार के लिए आवेदन कर सकता है। हमारी दावेदारी पर रोड़ा अटकने पर बीएसए सुरेंद्र सिंह से शिकायत की। उन्होंने कोई संज्ञान नहीं लिया। फिर रिमाइंडर भी दिया। स्थानीय स्तर पर कोई कार्रवाई न होने पर शिक्षा निदेशक तक जाना पड़ा।
बिना पड़ताल के आगे बढ़ा दी पत्रावली
-शिक्षक दिनेश चंद्र सक्सेना ने बिन्दुवार डा.अरूण गुप्ता के खिलाफ पत्राचार किया। सवाल किया कि डायट में संबद्ध रहे शिक्षक की पत्रावली को आगे कैसे भेज दिया। शिक्षा निदेशक के पास पूरा मामला पहुंचने पर सवाल हुआ कि जब मानक पूरे नहीं तो पत्रावली आगे कैसे बढ़ाई गई। अब विभाग ने तर्क दिया कि समय के अभव होने के कारण डा.अरूण से नोटरी शपथ पत्र ले लिया था कि ऑनलाइन आवेदन पत्र में अंकित विवरण सही है।
-राज्यपाल पुरस्कार के लिए मानक है कि पांच साल लगातार स्कूल में शिक्षक की सेवा होना चाहिए। मई या जून 2018 में अरूण डायट से रिलीव होकर स्कूल में कार्यरत हुए हैं। पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट बीएसए को सौंप दी गई।
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