सिस्टम से बड़ी शिक्षिका की इच्छाशक्ति, प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका ने अपने कार्य से अन्य सरकारी शिक्षकों के लिए उदाहरण पेश किया
सिस्टम से बड़ी शिक्षिका की इच्छाशक्ति, प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका ने अपने कार्य से अन्य सरकारी शिक्षकों के लिए उदाहरण पेश किया
लखनऊ : शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को सिटी मांटेसरी स्कूल में आनलाइन समारोह हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि सीएमएस ने शिक्षा का अनूठा वातावरण सृजित किया है। पहले लोग शिक्षा के लिए इलाहाबाद, दिल्ली आदि शहरों का नाम लेते थे, लेकिन अब शिक्षा के क्षेत्र में लखनऊ का नाम सबसे पहले आता है। स्कूल के संस्थापक डा. जगदीश गांधी ने भी विचार व्यक्त किए।
‘शिक्षा के क्षेत्र में लखनऊ का नाम सबसे पहले’
सिस्टम जो न कर सका, एक शिक्षिका की इच्छाशक्ति ने वो कर दिखाया। इससे साबित है, सोच बड़ी हो तो सब कुछ संभव है। चिनहट के धुबैला प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका ने अपने कार्य से अन्य सरकारी शिक्षकों के लिए उदाहरण पेश किया। बिना किसी सरकारी मदद से स्कूल को संवारा तो वहां के पठन-पाठन के स्तर में भी सुधार दिखने लगा। अब यहां प्रोजेक्टर से पढ़ाई होती है। वहीं, बच्चों की उपस्थिति भी बेहतर होने लगी है।
धुबैला प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका शबाना आजमी के इरादे नेक हैं, इसलिए उनकी राह में संसाधनों का रोड़ा नहीं आया। वह कहती हैं कि सरकार हमें शिक्षा का प्रसार करने के लिए वेतन देती है। ऐसे में हमारा फर्ज भी है कि इसके बदले हम कुछ ऐसा करें, जिससे सरकार के सब पढ़ें सब बढ़ें अभियान को गति मिल सके। दो साल पहले मैं जब यहां आई तो बच्चों की संख्या भी कम थी। बैठने का इंतजाम भी नहीं था। इसके बाद कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल बंद हो गए। उसी बीच मुङो मौका मिला और मैंने स्कूल को बच्चों के अनुरूप संवारने की शुरुआत कर दी। एक सितंबर को स्कूल खुला तो बच्चे कक्षाएं देखकर खुश हो गए। बच्चों को लुभाने के लिए दीवारों के साथ ही फर्नीचर को बच्चों के अनुरूप तैयार कर दिया है। उनका कहना है कि पैसे से ज्यादा आपकी सोच आपको इस बदलाव के लिए प्रेरित करती है। साथी शिक्षकों ने भी उनका इसमें सहयोग किया।
बालिकाओं को देती हैं अलग से तकनीकी शिक्षा: शबाना यहां बालिकाओं को पढ़ाई के साथ ही सिलाई-कढ़ाई और ब्यूटीशियन की अलग से शिक्षा देती हैं। उनका कहना है कि पढ़ाई के बाद खाली समय में एक घंटे अतिरिक्त समय देकर प्रशिक्षण देती हूं। पढ़ाई के साथ-साथ वह तकनीकी ज्ञान भी सीख सकें, इसी मंशा को लेकर प्रशिक्षण देती हूं। पहले मैंने खुद सीखा और फिर इन्हें सिखाने लगी। इससे पहले भी वह सैदापुर प्रथम के प्राथमिक विद्यालय को आदर्श विद्यालय बना चुकी हैं।
सरकारी स्कूल की बदली सूरत तो ¨खचे चले आए बच्चे, धुबैला प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को भा रही प्रोजेक्टर से पढ़ाई
शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को बाल चौपाल का आयोजन किया गया। मिशन शिक्षण संवाद की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में अपर शिक्षा निदेशक ललिता प्रदीप शामिल हुईं। इस आनलाइन बाल चौपाल में कक्षा सात से 12 तक के बच्चों ने प्रतिभाग किया। फतेहपुर से गीता यादव के संचालन में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ।
आनलाइन बाल चौपाल
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