जल्द भर्ती निकालने की अनुमति न मिली तो यूपीपीएससी के लिए वादा पूरा करना आसान नहीं, शासन मौन
जल्द भर्ती निकालने की अनुमति न मिली तो यूपीपीएससी के लिए वादा पूरा करना आसान नहीं, शासन मौन
प्रयागराज : उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने आननफानन में एपीएस यानी अपर निजी सचिव-2013 भर्ती को निरस्त कर दिया। फर्जीवाड़ा होने के आरोप में 23 अगस्त को भर्ती निरस्त की गई है। आयोग का वादा था कि 10 दिन के अंदर नया विज्ञापन जारी करके नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। फरवरी-2022 तक अंतिम रिजल्ट जारी करने का भरोसा दिया गया था, लेकिन शासन अभी इस पर मौन है। स्थिति यह है कि भर्ती निरस्त हुए 15 दिन बीत गए, परंतु शासन ने इसे लेकर अभी तक कोई निर्देश नहीं दिया। शासन की अनुमति न मिलने के कारण भर्ती फंसी है। अनुमति कब मिलेगी, इस पर आयोग के अधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। मौजूदा स्थिति को देखते हुए साफ नजर आ रहा है कि जल्द भर्ती निकालने की अनुमति न मिली तो आयोग अपना वादा पूरा नहीं कर पाएगा।
लोकसेवा आयोग ने अक्टूबर 2020 में एपीएस के करीब 250 पदों की भर्ती कराने के लिए शासन से अनुमति मांगी थी। इसकी फाइल शासन में 11 महीने से लंबित है। उस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ। इधर, एपीएस-2013 के तहत 176 पदों की भर्ती निरस्त कर दी गई। उक्त भर्ती में विज्ञापन में नियम विरुद्ध टाइप टेस्ट व शार्टहैंड में आठ-आठ प्रतिशत की छूट देने व अभ्यर्थियों द्वारा फर्जी प्रमाणपत्र लगाने का आरोप है। आयोग को अब नए सिरे से विज्ञापन निकालकर भर्ती पूरी करानी है। इसके लिए शासन से अनुमति मांगी गई है। शासन की अनुमति मिले बिना आयोग भर्ती नहीं निकाल सकता। वहीं, इस लेटलतीफी से अभ्यर्थियों की चिंता निरंतर बढ़ रही है। अभ्यर्थियों का कहना है कि 250 पदों पर भर्ती के लिए शासन ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया। इस बीच निरस्त की गई भर्ती का मामला भी वहां पहुंच गया है। अगर शासन ने निरस्त भर्ती पर जल्द कोई निर्णय न लिया तो अभ्यर्थियों का इंतजार बढ़ता जाएगा।
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