देश में ऑनलाइन एजुकेशन की खुली पोल, इन 7 राज्यों में 40 फीसदी स्टूडेंट्स के पास डिजिटल डिवाइस ही नहीं, डाले आंकड़ों पर नजर
देश में ऑनलाइन एजुकेशन की खुली पोल, इन 7 राज्यों में 40 फीसदी स्टूडेंट्स के पास डिजिटल डिवाइस ही नहीं, डाले आंकड़ों पर नजर
रिपोर्ट में जिन राज्यों में छात्र-छात्राओं के पास डिजिटल एक्सेस नहीं है उनमें- मध्य प्रदेश (70%) बिहार (58.09%) आंध्र प्रदेश (57%) असम (44.24%) झारखंड (43.42%) उत्तराखंड (41.17%) और गुजरात (40%) शामिल हैं। वहीं केरल और तमिलनाडु की भी बेहतर स्थिति है।
देश भर में पिछले साल आई कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लगाया गया था। महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाए प्रतिबंधों के चलते स्कूल-कॉलेज समेत सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया और ऑनलाइन कक्षाओं की शुरुआत की गई है। स्कूल-कक्षाओं समेत सभी संस्थानों में ऑनलाइन कक्षाएं लगाई गईं। लेकिन संसाधनों के अभाव में हजारों- लाखों स्टूडेंट्स पढ़ाई प्रभावित हुई है। इसकी तस्दीक करती है भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट। इस रिपोर्ट के अनुसार देश के सात बड़े राज्यों के 40 फीसदी बच्चों के पास डिजिटल डिवाइस ही उपलब्ध नहीं है। इसके चलते इन छात्र-छात्राओं की शिक्षा प्रभावित हो रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा तैयार रिपोर्ट के अनुसार, सात बड़े राज्यों में -असम, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्य शामिल हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, इन प्रदेशों में 40% से 70% स्कूल जाने वाले बच्चों के पास डिजिटल उपकरणों तक नहीं है।
वहीं रिपोर्ट में जिन राज्यों में छात्र-छात्राओं के पास डिजिटल एक्सेस नहीं है,उनमें- मध्य प्रदेश (70%), बिहार (58.09%), आंध्र प्रदेश (57%), असम (44.24%), झारखंड (43.42%) ,उत्तराखंड (41.17%) और गुजरात (40%) शामिल हैं। वहीं बेहतर स्थिति वाले राज्यों में केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में महज 4% स्टूडेंट्स के पास स्मॉर्टफोन नहीं है। केरल और तमिलनाडु की भी बेहतर स्थिति है। इसके अनुसार केरल में 1.63% और तमिलनाडु 14.51% के पास ही डिजिटल डिवाइस की सुविधा नहीं है। हालांकि इसमें उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के इस संबंध में डेटा उपलब्ध नहीं होने की वजह से पूरी स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन फिर भी जो आंकड़े सामने आए हैं, उनके आधार पर छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बेहद प्रभावित हुई है। बता दें कि शिक्षा मंत्रालय की ओर से सार्वजनिक की गई यह रिपोर्ट 28 में से 22 राज्यों और आठ में से सात केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा शेयर किए गए आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया था।
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