मां का बदला लेने को बन गया फर्जी आइपीएस, शिक्षकों को ब्लैकमेल करने से पहले हाई कोर्ट के पास से गिरफ्तार, वर्दी व दस्तावेज भी बरामद
मां का बदला लेने को बन गया फर्जी आइपीएस, शिक्षकों को ब्लैकमेल करने से पहले हाई कोर्ट के पास से गिरफ्तार, वर्दी व दस्तावेज भी बरामद
प्रयागराज : स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का आइपीएस अधिकारी बन शिक्षकों को ब्लैकमेल करने से पहले ही उसे एसटीएफ ने रविवार शाम दबोच लिया। अभियुक्त विपिन कुमार चौधरी प्रतियोगी छात्र और उसकी मां शिक्षिका है। वह कौशांबी के महेवाघाट थाना क्षेत्र स्थित बड़ी अढ़ौली कुम्हियावा गांव का रहने वाला है। आरोपित के कब्जे से आइपीएस की वर्दी, शिक्षकों का शैक्षणिक दस्तावेज, डायरी समेत कई कागजात बरामद हुए हैं। सीओ एसटीएफ नवेंदु कुमार ने बताया कि विपिन राजरूपपुर में किराए का कमरा लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता है। उसकी मां सुमति देवी कौशांबी के मनकापुर प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक हैं।
उसी स्कूल में सुशील सिंह भी शिक्षक हैं। अभियुक्त का आरोप है कि सुशील सिंह की जान पहचान बीआरसी से है। इसका फायदा उठाकर वह उसकी मां की ड्यूटी दूर लगवाकर परेशान करता है। इसका बदला लेने के लिए वह एसटीएफ का फर्जी आइपीएस बना। फिर उसने पता लगाया कि सुशील सिंह शिक्षक बनने पहले शिक्षा मित्र के रूप में फतेहपुर के धाता स्थित परसिद्धपुर प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत था। तब विपिन चौधरी वहां वर्दी पहनकर, किराए की गाड़ी व ड्राइवर लेकर परसिद्धपुर स्कूल पहुंचा। वहां उसने सहायक अध्यापक राजेश सिंह से वर्ष 2006 से 2019 तक की अध्यापकों की उपस्थिति रजिस्टर की छाया प्रति जांच के नाम पर ले ली। साथ ही वहां रिसिविंग प्रपत्र में अपना नाम रविंद्र कुमार पटेल, आइपीएस एसटीएफ लखनऊ ब्रांच अंकित किया। उसने शिक्षा विभाग के दूसरे दफ्तरों से सुशील व राजेश के खिलाफ कई कागजात जुटाए और ब्लैकमेल करने की योजना बनाई। इसी बीच उसकी करतूत की जानकारी सीओ एसटीएफ को हुई। तब उन्होंने इंस्पेक्टर केसी राय और उनकी टीम को लगाया। रविवार शाम जैसे ही फर्जी आइपीएस हाईकोर्ट हनुमान मंदिर के पास शिक्षकों को ब्लैकमेल करने के लिए पहुंचा, टीम ने उसे दबोच लिया। इसके बाद सिविल लाइंस थाने में दाखिल किया।
उसी स्कूल में सुशील सिंह भी शिक्षक हैं। अभियुक्त का आरोप है कि सुशील सिंह की जान पहचान बीआरसी से है। इसका फायदा उठाकर वह उसकी मां की ड्यूटी दूर लगवाकर परेशान करता है। इसका बदला लेने के लिए वह एसटीएफ का फर्जी आइपीएस बना। फिर उसने पता लगाया कि सुशील सिंह शिक्षक बनने पहले शिक्षा मित्र के रूप में फतेहपुर के धाता स्थित परसिद्धपुर प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत था। तब विपिन चौधरी वहां वर्दी पहनकर, किराए की गाड़ी व ड्राइवर लेकर परसिद्धपुर स्कूल पहुंचा। वहां उसने सहायक अध्यापक राजेश सिंह से वर्ष 2006 से 2019 तक की अध्यापकों की उपस्थिति रजिस्टर की छाया प्रति जांच के नाम पर ले ली। साथ ही वहां रिसिविंग प्रपत्र में अपना नाम रविंद्र कुमार पटेल, आइपीएस एसटीएफ लखनऊ ब्रांच अंकित किया। उसने शिक्षा विभाग के दूसरे दफ्तरों से सुशील व राजेश के खिलाफ कई कागजात जुटाए और ब्लैकमेल करने की योजना बनाई। इसी बीच उसकी करतूत की जानकारी सीओ एसटीएफ को हुई। तब उन्होंने इंस्पेक्टर केसी राय और उनकी टीम को लगाया। रविवार शाम जैसे ही फर्जी आइपीएस हाईकोर्ट हनुमान मंदिर के पास शिक्षकों को ब्लैकमेल करने के लिए पहुंचा, टीम ने उसे दबोच लिया। इसके बाद सिविल लाइंस थाने में दाखिल किया।
पढ़ाई के साथ शिक्षा मित्र का मानदेय ले रहा था सुशील …¨: सीओ नवेंदु कुमर ने बताया कि सहायक अध्यापक बनने से पहले सुशील जब बीएससी की पढ़ाई कर रहा था, तभी वह परसिद्ध्रपुर प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा मित्र के रूप में कार्यरत था। वह शिक्षा मित्र का मानदेय भी ले रहा था। नियमानुसार पढ़ाई और शिक्षा मित्र की नौकरी एक साथ नहीं की जा सकती। इसी का फायदा उठाकर उसने शिक्षकों को ब्लैकमेल करने की योजना बनाई थी।
यूट्यूब से सीखा फर्जी आइपीएस बनने का तरीका: विपिन कुमार ने फर्जी आइपीएस बनने का तरीका यूट्यूब से सीखा। उसने आइपीएस अधिकारी की वर्दी, बिल्ला, बैज के बारे में जानकारी जुटाकर वर्दी सिलवाई। फिर एक दुकान से नीले रंग की टोपी, बिल्ला, बैज, बेल्ट, जूता समेत अन्य सामान खरीदा। इसके बाद विपिन आइपीएस रविंद्र कुमार पटेल बनकर घूमने लगा। इससे पहले भी कई साल पहले सिविल लाइंस में एक फर्जी आइपीएस पकड़ा गया था।
एसटीएफ की गिरफ्त में फर्जी आईपीएस।
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